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"राष्ट्र सर्वोपरि है, पार्टियां देश को बेहतर बनाने का माध्यम हैं: शशि थरूर"

"राष्ट्र सर्वोपरि है, पार्टियां देश को बेहतर बनाने का माध्यम हैं: शशि थरूर"

📰 राष्ट्र सर्वोपरि है, पार्टियां देश को बेहतर बनाने का माध्यम हैं: शशि थरूर का बड़ा बयान

📅 तिथि: 20 जुलाई 2025
📍 स्थान: नई दिल्ली
🖋️ रिपोर्टर: [आपका नाम]

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद डॉ. शशि थरूर ने शनिवार को एक अहम बयान देते हुए कहा कि "राष्ट्र सर्वोपरि है, और राजनीतिक पार्टियां केवल देश को बेहतर बनाने का जरिया हैं।"

यह बयान उन्होंने तब दिया जब उनसे कांग्रेस पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और राजनीतिक प्रतिबद्धता को लेकर सवाल पूछा गया।

🔴 थरूर का स्पष्ट संदेश: ‘अगर भारत ही न रहा तो पार्टियां क्या करेंगी?’

थरूर ने बेबाकी से कहा,

"किसी भी राजनीतिक दल का मुख्य मकसद एक बेहतर भारत का निर्माण करना होता है। पार्टियों को इस बात पर असहमति हो सकती है कि उस लक्ष्य को पाने का सबसे सही तरीका क्या है, लेकिन अंतिम उद्देश्य भारत का विकास और समृद्धि होना चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा,

"यदि भारत ही मर गया, अगर इस देश की आत्मा ही समाप्त हो गई — तो फिर पार्टियों की सत्ता या विचारधाराओं का क्या महत्व रह जाएगा?"

थरूर का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश की राजनीति में ध्रुवीकरण और कटु वाद-विवाद अपने चरम पर हैं।

🇮🇳 राष्ट्रहित को सर्वोच्च रखने की बात

शशि थरूर ने सरकार के समर्थन पर रखी राय (Photo: File)
"किसी भी राजनीतिक दल का मुख्य मकसद एक बेहतर भारत का निर्माण करना होता है। पार्टियों को इस बात पर असहमति हो सकती है कि उस लक्ष्य को पाने का सबसे सही तरीका क्या है, लेकिन अंतिम उद्देश्य भारत का विकास और समृद्धि होना चाहिए।"

थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में असहमति आवश्यक है, लेकिन उसे देशहित से ऊपर नहीं रखा जा सकता।

"राजनीतिक मतभेद स्वाभाविक हैं और जरूरी भी, लेकिन जब सवाल राष्ट्र के अस्तित्व और उसकी अखंडता का हो, तो कोई भी दल, नेता या विचारधारा उससे ऊपर नहीं हो सकती," उन्होंने कहा।

🏛️ कांग्रेस और उनकी भूमिका

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता के रूप में थरूर का यह बयान पार्टी लाइन से थोड़ा अलग नजर आता है, लेकिन इसमें राष्ट्रप्रेम और लोकतांत्रिक मूल्यों की गहरी झलक है।
वे पहले भी अपनी साफगोई और स्वतंत्र विचारों के लिए जाने जाते रहे हैं।

📌 निष्कर्ष:

शशि थरूर का यह बयान न केवल राजनीति में मूल्यों और सिद्धांतों की जरूरत को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किसी भी लोकतंत्र में राष्ट्र पहले आता है, बाकी सब बाद में। ऐसे वक्त में जब राजनीतिक कटुता बढ़ रही है, थरूर की यह बात देश को एक सकारात्मक दिशा में सोचने की प्रेरणा देती है।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

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