जीणमाता मंदिर के पट खोलने पर MLA गोपाल शर्मा और राजेंद्र गुढ़ा के बीच तकरार: जानिए विवाद की वजह क्या है
- bypari rathore
- 30 July, 2025

यह समाचार जयपुर के सिविल लाइंस क्षेत्र में हुए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम का उल्लेख करता है, जिसमें विधायक गोपाल शर्मा और पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा के बीच वार्तालाप हुआ। जीणमाता मंदिर के पुजारियों के साथ हाल ही में हुए विवाद और उसके बाद की घटनाओं पर चर्चा की गई।
गोपाल शर्मा ने पुजारियों के साथ बैठक के दौरान उनकी समस्याओं को सुनने की कोशिश की और भविष्य में सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। वहीं, राजेन्द्र गुढ़ा ने भाजपा सरकार के समय पुजारियों के साथ हुए दुर्व्यवहार और उनकी कठिनाइयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मीडिया में इस मामले की रिपोर्ट होने के बावजूद सरकार की कार्रवाई धीमी है।
विधायक शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि लिखित शिकायत मिलने के बाद ही सरकार उचित कार्रवाई करेगी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे मौखिक शिकायतों को अधिक प्रभावी मानते हैं। इसके बाद, उन्होंने गृहमंत्री और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी बातचीत करने की बात कही, जिससे यह दर्शाता है कि मामला गंभीरता से लिया जा रहा है

यह घटना सामुदायिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, जहां धार्मिक भावनाएं और राजनीतिक दबाव एक साथ आ रहे हैं। इससे यह भी स्पष्ट है कि स्थानीय मुद्दों पर राजनीति चलती है और राजनीतिक व्यक्तित्वों के बीच संवाद आवश्यक है।
पूर्व राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा का यह बयान भाजपा सरकार पर गंभीर सवाल उठाता है, जिसमें वे प्रशासन के द्वारा मंदिरों और पुजारियों के प्रति किए गए कथित सौतेले व्यवहार की आलोचना कर रहे हैं। गुढ़ा ने जीण माता मंदिर में हुई घटनाओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की, जहां पुजारियों के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई और उनके सांस्कृतिक प्रतीक, जनेऊ, को तोड़ा गया। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि सोशल मीडिया पर इन घटनाओं के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिससे यह स्थिति और भी गंभीर प्रतीत होती है।
उनका कहना है कि विधायक गोपाल शर्मा का यह कहना कि "हमें लिखित में दो" इस बात को दर्शाता है कि सरकार कार्रवाई से भाग रही है और जनता के दुखों को अनदेखा करने की कोशिश कर रही है। गुढ़ा ने यह भी उल्लेख किया कि प्रशासन की इस प्रकार की मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यह कि भाजपा सरकार धर्म के प्रति झूठा दिखावा कर रही है।
उन्होंने इस घटना की तुलना ऐतिहासिक रूप से अत्याचारों से की, जब औरंगजेब की सेना ने मंदिरों पर हमले किए थे, इस प्रकार का वक्तव्य यह दर्शाता है कि वे धार्मिक भावनाओं और सांस्कृतिक समर्पण को महत्व देते हैं।
गुढ़ा का यह बयान साबित करता है कि राजनीतिक विरोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा स्थानीय मुद्दों और धार्मिक संवेदनाओं से जुड़ा होता है, और यह भी कि ऐसे मुद्दे राजनीतिक क्षेत्र में तीव्र विवाद और विचार-विमर्श का कारण बन सकते हैं।
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