“देश को तानाशाही की ओर धकेला जा रहा है”: प्रियंका गांधी का केंद्र पर बड़ा हमला, मोबाइल में Sanchar Saathi ऐप अनिवार्य करने पर घिरा विवाद
- byAman Prajapat
- 02 December, 2025
बड़ी बहस: क्या Sanchar Saathi ऐप जनता की सुरक्षा के लिये है या निगरानी का नया औज़ार?
नयी सुबह थी, लेकिन राजनीति की गलियों में फिर वही पुरानी गर्मी…
सोशल मीडिया पर हलचल, टीवी डिबेट में तकरार, और जनता के बीच सवालों की बयार—
जब Priyanka Gandhi ने सरकार पर सीधा, तीर-सा चुभने वाला बयान दाग दिया।
उनका कहना था कि Sanchar Saathi ऐप को अनिवार्य करने का फैसला
किसी लोकतांत्रिक देश में नहीं, बल्कि उस राह पर लिया जाता है
जहाँ सत्ता को सवाल पसंद नहीं आते
और आज़ादी धीरे-धीरे काँच की तरह टूटने लगती है।
और सच कहूँ तो, देशभर में लोग इस बयान के बाद एक-दूसरे से बस यही पूछने लगे—
“क्या सच में ये निगरानी का नया ज़माना आ रहा है?”
📌 Priyanka Gandhi का बयान: “देश को तानाशाही की ओर धकेला जा रहा है”
Priyanka गांधी ने बिल्कुल खुली, बेबाक, बोल्ड स्टाइल में कहा—
“एक ऐसा ऐप जबर्दस्ती नागरिकों के फोन में डलवाना,
यह लोकतंत्र नहीं…
यह देश को तानाशाही की तरफ मोड़ने जैसा है।”
उनका कहना है कि सरकार का यह कदम
डिजिटल स्वतंत्रता के नाम पर एक तरह की साइलेंट मॉनिटरिंग की शुरुआत जैसा लगता है।
और यार, सच बोलें तो आज के Gen-Z भी privacy को लेकर काफी जागरूक हैं।
किसी के फोन में बिना उनकी मर्जी कुछ डालना—
it’s kinda sketchy, not gonna lie.
📱 Sanchar Saathi App आखिर करता क्या है?
सरकार का कहना है कि यह ऐप
मोबाइल चोरी रुकवाता है
फर्जी सिम पहचानता है
cyber fraud से users को बचाता है
मतलब सुनने में तो dreamy सा safety वाला पूरा system लगता है।
लेकिन सवाल यह नहीं कि ऐप अच्छा है या बुरा।
सवाल यह है कि किसी चीज़ को अनिवार्य क्यों किया जाए?
और लोगों के personal device में सरकार की entry का क्या मतलब है?
🔥 राजनीति में भूचाल क्यों आया?
Opposition का कहना:
“Mandatory = red flag.
Surveillance = silent danger.
Government की मंशा साफ नहीं लगती.”
Government का कहना:
“ये सब जनता की सुरक्षा के लिये है,
इसमें किसी की जासूसी नहीं।”
जनता का कहना:
“Bhai hamare phone pe already padosi tak नजर रखते hain…
ab government bhi?”
ये पूरा मामला उसी तरह दो हिस्सों में बंट गया
जैसे chai बनाते समय लोग adrak-wali vs elaichi-wali को लेकर लड़ते हैं।
हर कोई अपनी बात को सही मान रहा है।
📡 Digital Monitoring का डर: क्या चिंता जायज़ है?
आज का डिजिटल ज़माना lightning-fast है,
और data तो सोने से भी ज्यादा कीमती माना जाता है।
तो जब सरकार ये बोलती है कि—
“हम आपके फोन की चीज़ें check नहीं करेंगे, बस security देंगे”—
लोग naturally सवाल उठाते हैं:
इसका proof क्या है?
क्या future में misuse नहीं होगा?
क्या data कहीं और share होगा?
क्या यह किसी बड़ी surveillance mechanism की शुरुआत है?
और frankly, ये सवाल हल्के में नहीं लिये जा सकते।
🇮🇳 लोकतंत्र का असली टेस्ट: Consent या Control?
लोकतंत्र का मतलब है
choice, freedom, space, privacy, और सवाल पूछने का हक।
अगर सरकार कह रही है कि ऐप genuinely लोगों की मदद करेगा,
तो फिर उसे अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है?
कहीं ऐसा तो नहीं कि
आज सुरक्षा के नाम पर app,
कल tracking के नाम पर नए rules,
और फिर धीरे-धीरे…
control का वो जाल जो इतिहास में कई बार फैलाया जा चुका है?
Priyanka Gandhi का यही कहना था—
“ऐसे decisions खुद बता देते हैं कि सत्ता किस direction में जा रही है।”
🧭 जनता की नज़र में असली मुद्दा क्या है?
लोग divided हैं।
एक तरफ लोग कह रहे हैं:
“Security जरूरी है.”
“चोरी रुके, fraud रुके, अच्छा है.”
“सरकार की जिम्मेदारी है कि वो tech solutions दे.”
दूसरी तरफ लोग बोल रहे हैं:
“मेरी privacy कोई compromise नहीं कर सकता.”
“Phone मेरा है, choice मेरी होनी चाहिए.”
“Mandatory चीज़ें suspicious लगती हैं।”
सच कहूँ? दोनों sides की बातें valid हैं।
लेकिन tension का कारण है compulsion.
🏛️ कांग्रेस vs बीजेपी: नया डिजिटल मोर्चा
कांग्रेस इसे “तानाशाही mindset” बता रही है।
बीजेपी इसे “opposition का tech-phobia” कह रही है।
डिबेट्स, सोशल मीडिया threads, memes—
हर जगह एक ही सवाल घूम रहा है:
“Mandatory app आखिर क्यों?”
🧨 Young India की आवाज़: Gen-Z ko chhedna आसान नहीं
आज Gen-Z ऐसा generation है
जो अपने phone को घर की चाबी से ज्यादा sacred मानता है।
उनके लिये phone =
diary
emotions
secrets
memories
work
life
So naturally, जब कोई suddenly बोले:
“Mandatory app install करो” —
reaction कुछ ऐसा आता है:
“Bruhhh… ye kya हो रहा है?”
“Koi warning nahi? koi consent nahi?”
“Tech तो cool है, पर force क्यों?”
और honestly, यही बात पूरे विवाद की आग को हवा दे रही है।
🧩 क्या इस विवाद का कोई समाधान है?
बिल्कुल है—
choice, transparency, clear explanation और लोगों का trust।
यदि सरकार step-by-step
डेटा का proof-based safety
misuse न होने की guarantee
open-source audit
optional use
provide करे—
तो पूरा विवाद half हो जाएगा।
मुद्दा ऐप का नहीं, approach का है
Sanchar Saathi ऐप चाहे जितना advanced हो,
लोग तभी trust करेंगे
जब उन्हें लगे कि सरकार उनकी freedom से खिलवाड़ नहीं कर रही।
Priyanka Gandhi का बयान
विवाद को और गर्म ज़रूर कर गया,
लेकिन उसने एक जरूरी सवाल उठाया है—
“डिजिटल इंडिया में डिजिटल आज़ादी कितनी सुरक्षित है?”
और यही सवाल आज हर café, newsroom, WhatsApp ग्रुप,
और social media की lanes में घूम रहा है।
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