हरेंद्र सिंह resign — भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच हरेंद्र सिंह ने अचानक दिया इस्तीफा
- byAman Prajapat
- 02 December, 2025
दिनांक: 1 दिसंबर 2025 — एक ऐसा दिन जब भारतीय महिला हॉकी में हवा बदल गई। हरेंद्र सिंह ने, जो अप्रैल 2024 से भारतीय महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच थे, “निजी कारणों” का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
हरेंद्र ने Hockey India को भेजे ई-मेल में लिखा कि “भारतीय महिला हॉकी टीम को कोच करना मेरे लिए एक सौभाग्य रहा है — यह मेरे करियर का एक अहम मुकाम रहा। लेकिन निजी कारण अब मुझे इस पद से हटने के लिए मजबूर करते हैं। मेरा दिल अभी भी इस असाधारण टीम और उनकी सफलता के साथ है।”
🏑 पीछे की कहानी — शुरुआत से लेकर इस्तीफे तक
हरेंद्र सिंह को फिर से महिला टीम की कमान सौंपी गई थी — तब की टीम पेरिस ओलिंपिक 2024 के क्वालिफायर में नाकाम रही थी।
शुरुआत में उम्मीद जगाई थी। नवंबर 2024 में, राजगीर में हुए Asian Champions Trophy में भारत ने खिताब जीतकर एक बार फिर दिखा दिया कि टीम में जान बाकी है।
लेकिन उसी जादू कीकही तरह हवा पलट गई: 2024-25 का FIH Pro League भारत के लिए कड़ी परीक्षा साबित हुआ — 16 मैचों में केवल 2 जीत, 3 ड्रॉ और 11 हार। टीम आखिरी पायदान पर रही, और अगली प्रो-लीग के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी।
इसके साथ ही टीम की फिटनेस भी एक बड़ी चिंता रही — रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्य खेलेड़ी दल में 13 खिलाड़ी core-group में चोटों की मार झेल रही थीं।
खिलाड़ियों का मनो-माहौल, शिकायतें और विवाद
हालाँकि इस्तीफे के पीछे आधिकारिक बयान में केवल “निजी कारण” बताया गया, लेकिन पृष्ठभूमि में टीम के अंदर खिंचाव की सुनामी थी। सूत्र बताते हैं कि कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने आरोप लगाए कि हरेंद्र सिंह का रवैया “कड़ा” था — favouritism, सख्त ट्रेनिंग, injuries को छुपाने की कोशिशें और “बड़ी खिलाड़ियों को विशेष व्यवहार” जैसे मुद्दे थे।
कुछ खिलाड़ियों ने शिकायत की थी कि उनका मन राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने को लेकर नहीं है — कम से कम आधी टीम ने खुल कर कहा कि वे अब उसी माहौल में खेलना नहीं चाहतीं।
बताया जाता है कि मामले को लेकर शिकायतें खेल मंत्रालय तक चली गई थीं, और बाद में अधिकारियों ने खिलाड़ियों के साथ संवाद कर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि टीम को आगे ऐसे माहौल में नहीं रखा जा सकता। इस्तीफा उसी फोरस-फिट फैसले का नतीजा है।
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हरेंद्र सिंह का सफर: कामयाबी और मुश्किलें दोनों
हरेंद्र सिंह हॉकी के ऐसे कोच रहे हैं जिनका सफर उतार-चढ़ाव से कम नहीं रहा। उन्होंने पहले पुरुष और जूनियर टीमों की कमान संभाली, 2016 में जूनियर वर्ल्ड कप जीताई।
महिला टीम की कप्तानी उन्हें दूसरी बार सौंपी गई — इस बार बड़ी उम्मीदों के साथ। शुरू में Asian Champions Trophy ने सबको भरोसा दिलाया। लेकिन बाद में गिरावट, फिटनेस-crisis, खराब प्रदर्शन, और टीम माहौल की शिकायतों ने उन पर भारी पड़ गई।
अब, उनके जाने के बाद सवाल उठता है — क्या टीम फिर से मैदान पर लौट पाएगी?
आगे क्या — क्या बदलेगा?
Hockey India ने कहा है कि वे जल्द ही नए मुख्य कोच की नियुक्ति करेंगे। चर्चाओं में है कि Sjoerd Marijne, जिनके under टीम ने 2021 में टोक्यो ओलिंपिक में चौथा स्थान हासिल किया था, उन्हें दोबारा टीम की बागडोर सौंपी जा सकती है।
कोचिंग बदलने से टीम के लिए नई शुरुआत हो सकती है — लेकिन खिलाड़ियों में जो असंतोष था, उसे ठीक करना आसान नहीं होगा। फिटनेस, मनोबल, व्यवहार, ट्रेनिंग — सबको नए सिरे से देखना पड़ेगा।
मेरी राय में…
भाई, सच बोले तो — जब इंसान दिल से काम करता है और टीम चलाता है, तो न सिर्फ जीत-हार बल्कि भरोसा भी बड़ा होता है। हरेंद्र सिंह ने शुरुआत में उम्मीद जगाई थी, जीत दिलाई थी। लेकिन जब टीम अंदर से टूटी हो, खिलाड़ी टूटी हों, मन टूटा हो — तब जीत की चमक फीकी हो जाती है।
भारतीय महिला हॉकी का भविष्य अभी अनिश्चित है। लेकिन अगर नई शुरुआत सही हिमत, समझ-बूझ, और संवेदना से की जाए — तो फिर से वो जोश दिखना शुरू होगा।
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**Nitish Rana Backs...
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