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सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को PM और RSS पर कार्टून मामले में राहत देने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को PM और RSS पर कार्टून मामले में राहत देने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को राहत देने से किया इनकार, पीएम और RSS पर बनाए कार्टून पर मचा बवाल

नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर बनाए गए एक विवादास्पद कार्टून के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से अदालत ने साफ इनकार कर दिया।

सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ कलाकार, कार्टूनिस्ट और स्टैंड-अप कॉमेडियन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से देश का सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है

कोर्ट ने पूछा— “आप ये सब क्यों करते हैं?”
सुनवाई के दौरान जब वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि यह कार्टून भले ही आपत्तिजनक हो, लेकिन अपराध की श्रेणी में नहीं आता, तो कोर्ट ने साफ कहा कि बार-बार ऐसी हरकतें कर माफी मांगने का चलन बन गया है।

न्यायमूर्ति धूलिया ने सीधे सवाल किया—

“आप ये सब क्यों करते हैं?”

कोर्ट का मानना था कि इस तरह की अभिव्यक्ति जिम्मेदार नागरिक के आचरण के अनुरूप नहीं है और इससे लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।

Supreme Court of India - Wikipedia

क्या है मामला?
हेमंत मालवीय पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक कार्टून पोस्ट किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और RSS की आलोचना की गई। इसे कई संगठनों ने आपत्तिजनक बताते हुए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

अगली सुनवाई कब होगी?
कोर्ट ने मामले में विस्तृत सुनवाई की बात कही है, लेकिन अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। अब हेमंत मालवीय को गिरफ्तारी से बचने के लिए निचली अदालत में गुहार लगानी होगी।

मामला क्यों अहम है?
यह केस देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम जिम्मेदारी की बहस को एक बार फिर चर्चा में ले आया है। सवाल यह है कि कलाकार और व्यंग्यकार कितनी सीमा तक स्वतंत्र हैं और कब यह आज़ादी सामाजिक सौहार्द पर आघात बन जाती है।


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