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Exclusive: 53 साल से अधूरी नॉर्थ कोयल परियोजना, पीएम मोदी के सामने खुली फाइल, जानिए फिर क्या हुआ

Exclusive: 53 साल से अधूरी नॉर्थ कोयल परियोजना, पीएम मोदी के सामने खुली फाइल, जानिए फिर क्या हुआ

Exclusive: 53 साल से भेड़ चाल... जब पीएम मोदी के सामने आई बिहार के प्रोजेक्ट की फाइल, जानें फिर क्या हुआ

नॉर्थ कोयल जलाशय परियोजना (North Koel Reservoir Project) की कहानी बिहार और झारखंड की राजनीति और विकास की जमीनी हकीकत को बयां करती है। साल 1972 में बिहार सरकार ने इसकी शुरुआत की थी, ताकि पानी की समस्या से जूझते इलाकों को राहत दी जा सके। मगर अफसोस की बात यह है कि यह प्रोजेक्ट 53 साल बाद भी अधूरा पड़ा है।

🔺 परियोजना की अहमियत

नॉर्थ कोयल प्रोजेक्ट का मकसद था:

बिहार और झारखंड के लाखों किसानों को सिंचाई की सुविधा देना

सोन नदी बेसिन में जल प्रबंधन को मजबूत करना

बाढ़ और सूखा, दोनों पर नियंत्रण करना

इस परियोजना से करीब 1.24 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ मिल सकता था। लेकिन राजनीतिक असहमति, प्रशासनिक देरी, फंड की कमी और राज्यों के बीच तालमेल की कमी ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

🔺 बिहार-झारखंड बंटवारे ने और उलझाया मामला

2000 में जब बिहार और झारखंड अलग हुए, तब प्रोजेक्ट की लोकेशन भी दो राज्यों में बंट गई।

डैम और जलाशय का हिस्सा झारखंड में है

जबकि पानी का फायदा लेने वाले इलाके बिहार में हैं

इस वजह से दोनों राज्यों में कई साल तक आपसी सहमति नहीं बन पाई कि लागत और मुआवजा कैसे साझा किया जाए।

🔺 पीएम मोदी के सामने पहुंची फाइल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक बैठक में नॉर्थ कोयल प्रोजेक्ट की फाइल मंगवाई। सूत्रों के मुताबिक, पीएम ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, क्योंकि यह किसानों और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है।

पीएम मोदी का कहना था:

“53 साल से जनता सिर्फ इंतजार कर रही है। अब वक्त है कि फाइलों से बाहर निकलकर ये प्रोजेक्ट जमीन पर दिखे।”

🔺 आगे क्या?

केंद्र सरकार अब इस प्रोजेक्ट के लिए विशेष फंडिंग प्लान तैयार कर रही है। झारखंड और बिहार दोनों राज्यों के बीच तालमेल बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। अगर सबकुछ योजना के मुताबिक चला, तो अगले 2-3 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा हो सकता है।

🔺 कितना खर्च और फायदा?

अनुमानित लागत: ₹1600 करोड़ से ज्यादा

सिंचाई लाभार्थी क्षेत्र: 1.24 लाख हेक्टेयर

बिजली उत्पादन क्षमता: लगभग 24 मेगावाट

📌 निष्कर्ष

नॉर्थ कोयल प्रोजेक्ट एक ऐसा उदाहरण है, जो बताता है कि भारत में योजनाएं क्यों अधूरी रह जाती हैं। अब सबकी नजरें पीएम मोदी की सक्रियता और सरकार की नीयत पर टिकी हैं कि क्या इस प्रोजेक्ट को सचमुच जमीन पर उतारा जा सकेगा, या फिर ये फाइलों में ही दबी रह जाएगी।


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