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क्या भारत को हाफिज सईद को सौंपने के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए? बिलावल भुट्टो के बयान से मचा बवाल

क्या भारत को हाफिज सईद को सौंपने के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए? बिलावल भुट्टो के बयान से मचा बवाल

क्या भारत को हाफिज सईद को सौंपने के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए?
हाँ, बिल्कुल उठाना चाहिए।

क्यों उठाना चाहिए?

आतंकवाद का मुद्दा वैश्विक है:
हाफिज सईद पर 26/11 मुंबई हमलों जैसे बड़े आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप है। ऐसे आतंकी सिर्फ भारत के लिए नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं। इसलिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव बनाना जरूरी है ताकि पाकिस्तान पर कार्रवाई करने की वैश्विक मजबूरी बने।

पाकिस्तान की दोहरी नीति उजागर करना जरूरी:
पाकिस्तान अक्सर दुनिया के सामने खुद को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाला देश बताता है। लेकिन हकीकत में कई आतंकी वहां खुलेआम घूमते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा उठाने से पाकिस्तान की यह दोहरी नीति बेनकाब होती है।

कूटनीतिक दबाव से नतीजे मिल सकते हैं:
सीधे-सीधे पाकिस्तान पर भरोसा करना व्यावहारिक नहीं है। लेकिन अमेरिका, UNSC, FATF जैसे मंचों पर भारत आवाज उठाए तो पाकिस्तान पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव बढ़ सकता है। हाफिज सईद पहले ही FATF की वजह से नजरबंदी और केसों का सामना कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय दबाव उसे भारत को सौंपने तक मजबूर कर सकता है, या कम से कम उसकी गतिविधियों पर शिकंजा कस सकता है।

पीड़ितों को न्याय का सवाल:
मुंबई हमलों के सैकड़ों पीड़ित और उनके परिवार अब भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाने से उनकी न्याय की उम्मीदें मजबूत होती हैं।

चुनौतियां भी हैं

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पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में ऐसे मुद्दे को “राष्ट्रीय गौरव” से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए पाकिस्तान की सहमति आसान नहीं है।

चीन जैसे देशों का पाकिस्तान को बचाने का रिकॉर्ड रहा है, जिससे UNSC जैसे मंचों पर भी बाधाएं आती हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के बावजूद भारत को तत्काल सफलता नहीं मिल सकती, पर दबाव बनाए रखना ही रणनीति का हिस्सा है।

निचोड़:
भारत को हाफिज सईद को सौंपने की मांग को लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाते रहना चाहिए। यह सिर्फ भारत की सुरक्षा का नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकवाद से लड़ाई का सवाल है। इससे न सिर्फ पाकिस्तान पर दबाव पड़ेगा, बल्कि दुनिया में भारत की साख भी मजबूत होगी कि वह आतंक के खिलाफ कड़ा रुख रखता है।


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