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"शशि थरूर अब हमारे नहीं" – कांग्रेस नेता मुरलीधरन का बड़ा बयान, पार्टी में गहराया मतभेद

"शशि थरूर अब हमारे नहीं" – कांग्रेस नेता मुरलीधरन का बड़ा बयान, पार्टी में गहराया मतभेद

📰 "शशि थरूर अब हमारे नहीं..." - कांग्रेस में गहराई अंदरूनी कलह, मुरलीधरन के बयान से बवाल

तिरुवनंतपुरम, 21 जुलाई 2025:
कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर से अंदरूनी खींचतान और गुटबाजी के संकेत मिले हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने रविवार को एक तीखा बयान देते हुए कहा कि

"शशि थरूर अब हमारे नहीं रहे। जब तक वे राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर पार्टी लाइन के अनुरूप रुख नहीं अपनाते, तब तक वे कांग्रेस के सच्चे प्रतिनिधि नहीं माने जा सकते।"

इस बयान के बाद पार्टी के अंदर तनाव और स्पष्ट रूप से सामने आ गया है, खासकर केरल कांग्रेस के भीतर।

🔍 क्या है विवाद की जड़?

दरअसल, शशि थरूर ने हाल ही में कुछ राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर अपने विचार सार्वजनिक रूप से व्यक्त किए थे। इनमें चीन और पाकिस्तान से जुड़ी कुछ टिप्पणियाँ भी शामिल थीं, जो कांग्रेस के आधिकारिक रुख से अलग मानी जा रही हैं।

के. मुरलीधरन का आरोप है कि थरूर का रवैया पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे जनता में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा:

“थरूर का नजरिया कांग्रेस की नीति से मेल नहीं खाता। पार्टी में रहकर इस तरह का स्वतंत्र व्यवहार स्वीकार नहीं किया जा सकता।”

🗳️ केरल कांग्रेस में लंबे समय से तनाव

केरल की राजनीति में शशि थरूर का एक अलग पहचान है। वे एक विद्वान, लेखक, पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजनयिक और अब लोकसभा सांसद हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से वे प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व से दूरी बनाए हुए हैं।

मुरलीधरन जैसे कई नेता थरूर की बढ़ती लोकप्रियता और स्वतंत्र विचारधारा को पार्टी अनुशासन के लिए खतरा मानते हैं।

शशि थरूर को लेकर कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने तीखा बयान दिया है (File Photo: PTI)
शशि थरूर को लेकर कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने तीखा बयान दिया है 

🗣️ थरूर की प्रतिक्रिया का इंतजार

शशि थरूर ने अभी तक इस विवाद पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वे पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र के समर्थक हैं और किसी भी मुद्दे पर अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं।

⚠️ राजनीतिक संकेत क्या हैं?

विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान सिर्फ एक व्यक्तिगत नाराज़गी नहीं है, बल्कि पार्टी के भीतर बढ़ते विचारधारात्मक मतभेद और नेतृत्व के संघर्ष की ओर भी इशारा करता है। खासकर ऐसे समय में जब कांग्रेस 2026 के चुनावी रण की तैयारी में जुटी है, इस तरह की बयानबाज़ी पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है।

🔎 निष्कर्ष

शशि थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं। के. मुरलीधरन का बयान केवल एक व्यक्ति पर निशाना नहीं, बल्कि पार्टी की सांठगांठ, दिशा और नेतृत्व के सवाल को लेकर एक गहरी बहस की शुरुआत हो सकता है। अब देखना यह है कि पार्टी हाईकमान इस विवाद को कैसे संभालता है और शशि थरूर क्या रुख अपनाते हैं।


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