मोदी का मिशन सीमांचल: राहुल की यात्रा और ओवैसी फैक्टर से बढ़ी बिहार चुनावी गर्मी
- bypari rathore
- 15 September, 2025

मोदी का मिशन सीमांचल, राहुल की यात्रा और ओवैसी फैक्टर से बढ़ी सियासी गर्मी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र सीमांचल का इलाका सबसे अहम सियासी अखाड़ा बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्णिया से चुनावी बिगुल फूंकते हुए विकास योजनाओं की सौगात दी, वहीं राहुल गांधी ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए इस क्षेत्र में माहौल बनाने की कोशिश की है। दूसरी ओर, ओवैसी की पार्टी AIMIM मुस्लिम वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है।
क्यों अहम है सीमांचल?
सीमांचल के चार जिले — कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया — मिलाकर कुल 24 विधानसभा सीटें हैं। यहाँ मुस्लिम आबादी 40 से 65 प्रतिशत के बीच है, जो नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित करती है। यही वजह है कि हर दल की नज़र इन सीटों पर है।
मोदी की रणनीति
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे में इन्फ्रास्ट्रक्चर, हवाई अड्डा, रेलवे और आवास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। भाजपा की कोशिश है कि सीमांचल को विकास की राजनीति के जरिए जोड़ा जाए और EBC, दलित व पिछड़ा वर्ग को साधा जाए।
राहुल गांधी का फोकस
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए वोटर लिस्ट से नाम कटने के मुद्दे को उठाया। उनका दावा है कि सीमांचल के हजारों मतदाताओं को वोटिंग अधिकार से वंचित किया जा रहा है। राहुल का मकसद मुस्लिम और दलित वोटरों को महागठबंधन के साथ जोड़कर रखना है।
ओवैसी फैक्टर
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं। पिछले चुनाव में AIMIM ने कई सीटों पर मजबूत प्रदर्शन किया था। इस बार भी अगर ओवैसी का वोट बैंक बरकरार रहा, तो मुस्लिम वोटों के बिखराव से भाजपा को अप्रत्यक्ष फायदा हो सकता है।
समीकरण और चुनौतियाँ
भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है मुस्लिम बहुल सीटों पर पैठ बनाना।
महागठबंधन को AIMIM के असर से बचते हुए वोटों को एकजुट रखना होगा।
स्थानीय मुद्दे जैसे बेरोज़गारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बाढ़ की समस्या चुनावी विमर्श के केंद्र में आ सकते हैं।
आगे की तस्वीर
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण महागठबंधन के पक्ष में होता है तो सीमांचल में भाजपा को सीमित सफलता मिलेगी। लेकिन अगर AIMIM का असर बरकरार रहा और वोट बंटे, तो भाजपा कई सीटों पर “कमल खिलाने” में सफल हो सकती है।

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