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कर्नाटक कॉलेज में फिर भड़का हिजाब-केसरिया विवाद: saffron शॉल में आए छात्रों ने किया विरोध

कर्नाटक कॉलेज में फिर भड़का हिजाब-केसरिया विवाद: saffron शॉल में आए छात्रों ने किया विरोध

कर्नाटक के हावेरी ज़िले के अक्कि अलूर गांव में स्थित CG Bellad Government First Grade College में एक बार फिर से विवाद का माहौल बन गया जब — कुछ छात्राओं ने कक्षा में प्रवेश के लिए हिजाब पेना हुआ, और दूसरी ओर — विभिन्न छात्र (मुख्यतः हिंदू/back-ground के) ने विरोध स्वरूप केसरिया (सैफरन) शॉल / स्टोल पहन कर कॉलेज में आये।  

घटनाक्रम के अनुसार, गुरुवार को कक्षा में हिजाब पहनी छात्रा आने के बाद, करीब 50 से अधिक छात्रों ने केसरिया शॉल या स्टोल पहनकर कॉलेज का रुख किया। उनका कहना था कि अगर हिजाब की अनुमति दी जाएगी, तो वे भी इस तरह अपना राजनीतिक/धार्मिक प्रतीक प्रदर्शन करेंगे — यह एक तरह का विरोध था। उन्होंने ड्रैस-कोड को लागू करने तथा समानता की मांग की।  

छात्रों का आरोप था कि कॉलेज प्रशासन ने लंबे समय से एक समान यूनिफ़ॉर्म नियम निर्धारित किया था, लेकिन — हिजाब पहनने वाली छात्राओं के मामले में — नियमों का ठीक से पालन नहीं कराया जा रहा। उन्होंने इसे असमान और पक्षपातपूर्ण बताया।  

कॉलेज के प्रिंसिपल Viresh Kammoor ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कक्षा में प्रवेश के लिए सभी छात्र यूनिफ़ॉर्म पहनें, यही कॉलेज का नियम रहा है। हालांकि कुछ मामलों में “छोटा अपवाद (concession)” भी दिया गया था। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही स्टाफ और अभिभावकों की बैठक बुलाएंगे ताकि इस विवाद का समाधान निकाला जा सके। 

यह विवाद नए नहीं है। इससे पहले भी — 2022 में — कई कॉलेजों में हिजाब और केसरिया शॉल को लेकर ही तनाव हुआ था। उस समय कई मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से प्रवेश नहीं दिया गया था, या उन्हें अलग बैठाया गया था। कुछ कॉलेजों में छात्रों ने विरोध स्वरूप केसरिया या अन्य धार्मिक प्रतीक पहनने शुरू किए थे।  

Photos: Hijab vs saffron scarf row in Karnataka
Hijab–Saffron Scarf Controversy Flares Up Again in Karnataka College

विवाद का स्वर केवल धार्मिक या व्यक्तिगत आस्था तक सीमित नहीं रहा — इसमें कॉलेज प्रशासन, राजनीतिक दलों, छात्र संगठन, धार्मिक समूह और समाज की व्यापक प्रतिक्रिया जुड़ गई है। धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान, धर्मनिरपेक्षिता, समान अधिकार, शिक्षा का अधिकार — ये सब सवाल फिर से उठ खड़े हुए हैं।

इस प्रकार, CG Bellad कॉलेज का यह घटनाक्रम — 2025 के अंत में — फिर से उस ज्वलंत बहस को सामने ला रहा है, जो कर्नाटक के कॉलेज कैम्पसों में वर्षों से जारी रही है।

इस बीच, यह देखना रहेगा कि कॉलेज प्रशासन, अभिभावक, छात्र और राज्य सरकार मिलकर किसी स्थायी समाधान पर पहुंच पाते हैं या नहीं।


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