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LJP(RV) का उत्थान पिता के सपने को सच करता है: चिराग पासवान, जब दो MLA मंत्री बने

LJP(RV) का उत्थान पिता के सपने को सच करता है: चिराग पासवान, जब दो MLA मंत्री बने

यह दिन न सिर्फ LJP(RV) के लिए, बल्कि उस सपने के लिए भी यादगार है जिसे रामविलास पासवान ने संजोया था। जब दो विधायक — संजय कुमार और संजय कुमार सिंह — मंत्री पद की शपथ लेने के लिए आगे आए, तो चिराग पासवान की आँखों में भावनाओं की छांव थी। उन्होंने कहा कि आज का दिन उनके पिता की याद दिलाता है — उस पिता की, जिसने ज़मीन पर राजनीति की नींव डाली थी, खून-पसीना बहाया था, और एक आम बिहारी को बड़ा मंच देने की सोच रखी थी।

चिराग ने मीडिया से बातचीत में बताया, “मैं जानता हूँ कि आज पापा वहाँ से देख रहे होंगे और मुस्कुरा रहे होंगे।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह सफलता सिर्फ राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि एक पारिवारिक मुकाम है — पिता की विरासत, एक लड़ाई, और उस संकल्प का प्रतिफल जो रामविलास पासवान ने जीते-जी रखा था।  

उनका कहना था कि यह पार्टी अब सिर्फ गोलबंदी नहीं कर रही है — यह एक मिशन तैयार कर रही है। मिशन बिहार को विकसित बनाना, बिहारी अस्मिता को आगे रखना, “बिहार पहले, बिहारी पहले” का जो नारा है, उसे सिर्फ नारा न रहने देना।  

पृष्ठभूमि: LJP(RV) और चिराग पासवान की राह

रामविलास पासवान की सियासी छाप बिहार में गहरी रही है। उनके जाने के बाद, यह विरासत कई राहों से गुज़री — आंतरिक कलह, विभाजन, नाम-निशान का विवाद। लेकिन चिराग पासवान ने दृढ़ता दिखाई है। 

उनकी पार्टी LJP(RV) ने हाल ही में विधानसभा चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन किया। पार्टी ने 29 सीटों पर चुनाव लड़कर उनमें से कई पर बढ़त बनाई। 

राजू तिवारी को पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया है, और चिराग ने कहा कि 19 में से 16 सीटें विपक्ष से छीनकर आई हैं — यह जीत किसी मामूली जीत से कम नहीं है। 

भावुक जुड़ाव और जिम्मेदारी की बात

चिराग इस सफलता को सिर्फ चुनावी जीत नहीं मानते। उनके लिए यह पिता की याद, उनके आदर्श और उनके सपने का जीवंत लक्ष्य है। उन्होंने कहा, “बड़ी जीत बड़ी जिम्मेदारी लाती है।”  

उनका यह भी कहना है कि अब पार्टी युद्ध स्तर पर काम करेगी — “war footing” पर — क्योंकि बिहार को सिर्फ सत्ता नहीं चाहिए, उसे विकास चाहिए, अस्मिता चाहिए, और सम्मान चाहिए।  

चिराग ने यह भरोसा भी जताया कि इस वक्त उनके लिए केवल सत्ता हासिल करना मायने नहीं रखता। उन्हें निरंतरता चाहिए — एक ऐसा रास्ता जिसे बनाकर वह पिता की राजनीतिक सोच को आगे ले जाएँ।

राजनीतिक मायने और आगे की रणनीति

एनडीए में भूमिका: चिराग पासवान ने साफ किया है कि उनकी पार्टी नए गठबंधन में सक्रिय भागीदारी चाहती है। 

विरासत का प्रबंधन: उन्होंने अपने पिता की विरासत — उनके मूल्य, उनका आदर्श — को सिर्फ याद नहीं बल्कि पुनर्निर्माण के लिए इस्तेमाल किया है। 

बिहार विकास: चिराग का विजन सिर्फ चुनाव जितने तक सीमित नहीं है — उनका लक्ष्य बिहार को विकसित बनाना है और बिहारी अस्मिता को मजबूत करना है।

पार्टी संगठन: राजू तिवारी जैसे नेताओं को जिम्मेदार पदों पर लाना, पार्टी की मजबूत कार्यकारिणी बनाना — यह सब चिराग की अगली उसने रणनीति का हिस्सा है।

Chirag Paswan on Lalu Prasad Yadav RJD LJP alliance Bihar Tejashwi | India  News – India TV
Chirag Paswan Says LJP(RV)'s Rise Fulfils Father’s Dream as Two Party MLAs Take Oath as Ministers

चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

यह सफर आसान नहीं होगा। पिता की छाया बड़ी है और उम्मीदें भी उतनी ही बड़ी हैं। चिराग पासवान को कई मोर्चों पर संतुलन बनाना है:

राजनीतिक दबाव: सत्ता में रहते हुए अपनी पहचान बनाए रखना और दूसरों के साथ गठबंधन में अपनी भूमिका मजबूत करना।

जन अपेक्षाएं: बिहार में विकास की मांग लगातार बढ़ेगी — लोगों को सिर्फ वादे नहीं, ठोस परिवर्तन चाहिए।

पारिवारिक विरासत: रामविलास पासवान की विरासत सिर्फ नाम नहीं है, यह ज़िम्मेदारी है — उसे निभाना चिराग के लिए सम्मान की बात है।

स्थिरता: जीत को टिकाऊ बनाना — यह जरूरी है कि पार्टी सिर्फ आज की उपलब्धि पर न थमे, बल्कि आगे निरंतर काम करे।

निष्कर्ष

चिराग पासवान की यह बात कि “LJP(RV) का उत्थान पिता के सपने को पूरा करना है” सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक प्रतिज्ञा है। आज जब दो मंत्री उनकी पार्टी से शपथ ले रहे हैं, तो यह प्रतीक है कि सपना सिर्फ यादों में नहीं, हक़ीकत में बदल रहा है। यह राह आसान नहीं है, लेकिन चिराग ने दिखा दिया है कि उनके अंदर न सिर्फ पिता की विरासत को संभालने की शक्ति है, बल्कि उस विरासत को आगे बढ़ाने का जुनून भी।

बिहार की राजनीति अब सिर्फ पार्टियों और गठबंधनों की नहीं — सपनों, उन सपनों की लड़ाई की भी कहानी है जिन्हें रामविलास पासवान ने जीते-जी देखना चाहा था। और चिराग पासवान उस कहानी को आगे लिखने को तैयार है — कदम से कदम मिला कर, जोश से, जिम्मेदारी से, और एक नए बिहार की उम्मीद के साथ।


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