चिदंबरम के बयान से कांग्रेस में हलचल, क्या थरूर वाली राह पर हैं?
- bypari rathore
- 01 August, 2025

📰 चिदंबरम के बयान से कांग्रेस में हलचल, क्या थरूर वाली राह पर हैं?
नई दिल्ली:
कांग्रेस पार्टी एक बार फिर अपने वरिष्ठ नेताओं के बयानों को लेकर राजनीतिक चर्चा के केंद्र में आ गई है। पहले शशि थरूर और अब पी. चिदंबरम के ताज़ा बयान ने पार्टी के अंदर चल रही खींचतान और विचारधारा के मतभेदों को उजागर कर दिया है।
पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने हाल ही में एक बयान में भारत सरकार की पाकिस्तान नीति की तारीफ की, जिससे राजनीतिक हलकों में कई सवाल उठने लगे हैं। यही नहीं, उन्होंने इंडिया गठबंधन को भी खुले तौर पर सलाह और आलोचना दे डाली, जिससे यह संकेत मिला कि वह पार्टी लाइन से इतर सोचने को तैयार हैं।
🔍 क्या यह 'थरूर वाली गली' है?
कई विश्लेषकों का मानना है कि चिदंबरम अब उसी राह पर बढ़ते दिख रहे हैं जिस पर पहले से शशि थरूर चल रहे हैं। थरूर पहले भी प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति और नेतृत्व की तारीफ कर चुके हैं, जिससे बीजेपी समर्थक सोशल मीडिया पर उन्हें ‘अपना नेता’ कहने लगे थे।
अब चिदंबरम का बयान भी कुछ वैसा ही सुर पैदा कर रहा है — एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता जो अपनी बात साफगोई से रखने में नहीं हिचकते, भले ही वो पार्टी की लाइन से मेल न खाती हो।
🎙 चिदंबरम का क्या कहना था?
अपने बयान में चिदंबरम ने कहा,
"भारत सरकार ने पाकिस्तान के मसले पर जो स्पष्टता दिखाई है, वह सराहनीय है। हम विरोध जरूर करें, लेकिन जहाँ तारीफ बनती है, वहाँ पीछे नहीं हटना चाहिए।"
इसके साथ ही उन्होंने इंडिया गठबंधन को लेकर कहा कि,
"गठबंधन का मतलब सिर्फ सीट शेयरिंग नहीं, वैचारिक स्पष्टता और संगठित रणनीति भी जरूरी है, जो फिलहाल गायब लगती है।"
⚖ कांग्रेस में मतभेद या आत्मचिंतन?
कांग्रेस पार्टी के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। एक ओर जहां चुनावी तैयारियाँ जोरों पर हैं, वहीं दूसरी ओर अंदर से ऐसे बयान पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। सवाल यह भी है कि क्या पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं की सलाह को गंभीरता से ले रही है, या उन्हें नजरअंदाज कर रही है?
📌 निष्कर्ष:
पी. चिदंबरम और शशि थरूर जैसे नेता जब सरकार की नीतियों की तारीफ करते हैं या अपनी ही पार्टी पर सवाल उठाते हैं, तो वह महज़ 'बयान' नहीं होते, बल्कि पार्टी के भीतर के असंतोष और सुधार की मांग का संकेत भी होते हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस इन बयानों को "आंतरिक लोकतंत्र" मानेगी या "पार्टी लाइन के खिलाफ बगावत"।
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