"रेपो दर में तीसरी बार कटौती की संभावना: RBI की जून MPC बैठक पर नजरें"
- bypari rathore
- 31 July, 2025

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा खुदरा महंगाई में कमी आने से रेपो दर में कटौती की उम्मीदें तीसरी बार बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि निश्चित रूप से जून में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। यदि महंगाई के आंकड़े और भी संकेत देते हैं कि स्थिरता आ रही है, तो RBI की ओर से नीतिगत दरों में नरमी का फैसला लिया जा सकता है। इससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा और कर्ज की लागत में कमी आएगी, जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। इस बीच, बाजार के विश्लेषक और निवेशक RBI की नीतियों की दिशा और वैश्विक आर्थिक स्थितियों पर भी ध्यान दे रहे हैं।
खुदरा महंगाई के मार्च 2025 में लगभग छह साल के निचले स्तर तक पहुँच जाने से रेपो दर में लगातार तीसरी बार कटौती की उम्मीदें मजबूत हो गई हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी 2025 से अब तक दो बार में कुल 0.50 फीसदी की कटौती की है। इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण मार्च में खुदरा महंगाई में क्रमिक आधार पर महत्वपूर्ण गिरावट आई है। अगले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, 2024-25 में रिकॉर्ड कृषि उत्पादन की संभावना भी है। नायर ने बताया कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की आगामी तीन बैठकों में प्रमुख नीतिगत दर में 0.50 फीसदी की और कटौती की संभावना है। साथ ही, मार्च के महंगाई के आंकड़ों ने जून में अगली MPC बैठक में रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीदों को भी मजबूती दी है। इस प्रकार, महंगाई में गिरावट का असर अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक रूप से पड़ने की उम्मीद है।
तेलंगाना में खुदरा महंगाई की दर अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे कम 1.06 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि केरल में यह सबसे अधिक 6.59 फीसदी रही। इसके अलावा, दिल्ली में महंगाई दर 1.48 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 3.01 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 3.20 फीसदी, पंजाब में 3.65 फीसदी, उत्तराखंड में 3.78 फीसदी, हरियाणा में 3.81 फीसदी, और जम्मू-कश्मीर में 4 फीसदी रही।
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि विभिन्न राज्यों में महंगाई की दर में काफी भिन्नता है, जो स्थानीय बाजार की स्थितियों और कीमतों पर निर्भर करती है। तेलंगाना में कम महंगाई दर से राज्य की आर्थिक स्थिरता को दर्शाता है, जबकि केरल में उच्च महंगाई दर कई चुनौतियों का सामना कर रही अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करती है।

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