90.25 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर फिसला रुपया: डॉलर के सामने भारतीय मुद्रा हुई अब तक सबसे कमजोर
- byAman Prajapat
- 03 December, 2025
रुपया 90.25 पर—एक ऐसा दिन जिसे अर्थव्यवस्था ने याद रख लिया
आज का दिन थोड़ा कड़वा, थोड़ा सच्चा और थोड़ा ऐसा है जिसे आने वाले सालों तक आर्थिक इतिहास में कोट किया जाएगा। भारतीय रुपया जो दशकों से मजबूती और संघर्ष के बीच झूलता रहा, वह आज 90.25 प्रति डॉलर के स्तर पर जा गिरा—एक स्तर जो सिर्फ आंकड़ा नहीं बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के लिए चेतावनी घंटी जैसा है।
और हां, सच बोलूं तो—ये सिर्फ एक नंबर नहीं, ये वो दहाड़ है जो दुनिया की अर्थव्यवस्था के बीच भारत की स्थिति का हकीकत-check है।
कभी-कभी बाजार ऐसे झटके देते हैं कि पुरानी किताबें, पुराने फॉर्मूले, पुरानी नीतियाँ… सब दो मिनट के लिए outdated लगने लगती हैं — और आज वही vibe था।
क्यों टूटा रुपया?—कहानी थोड़ी गहरी, थोड़ी कड़वी
रुपये का गिरना अचानक नहीं हुआ। ये कई महीनों से simmer कर रही बेचैनी का विस्फोट है।
चलो इसे एक-एक कर तोड़ते हैं—जैसे पुराने जमाने में अख़बार की गहराई भविष्य को समझाती थी:
1️⃣ अमेरिकी डॉलर की आक्रामक मजबूती
अमेरिका में ब्याज दरें ऊँची, निवेशकों का भरोसा मजबूत, और डॉलर का ग्लोबल demand sky high।
Dollar literally आज “main character” बन बैठा है।
बाकी currencies supporting cast की तरह ही रह गईं — और रुपया तो सबसे ज्यादा pressure में आया।
2️⃣ विदेशी निवेशकों का भारत से पैसे निकालना
FIIs का पैसा बाहर जाते ही INR की कमर थोड़ी और झुक गई।
Stock market की गिरावट ने भी इस pressure को double कर दिया।
3️⃣ कच्चे तेल की महंगाई — पुरानी कहानी, नया chapter
भारत तेल का आयातक देश है, और जब तेल महंगा होता है, तो डॉलर खर्च बढ़ता है।
सीधी बात — तेल महंगा मतलब रुपया कमजोर।
4️⃣ भू-राजनीतिक तनाव
मध्य पूर्व का तनाव, वैश्विक मंदी की आशंका और supply chains में रुकावट — सबने मिलकर रुपया को और fragile बना दिया।
90.25 — ये सिर्फ एक नंबर नहीं, कई sectors पर सीधा असर
रुपये की ये गिरावट एक domino effect की तरह है—एक गिरता है तो उसके साथ कई गिर पड़ते हैं।
📦 Import होगा महंगा
फोन्स, गैजेट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, गाड़ियाँ… सब imported stuff थोड़े महंगे होने का mood बना रहे हैं।
🛢️ ईंधन की कीमतें फिर बढ़ सकती हैं
तेल महंगा → ट्रांसपोर्ट महंगा → बाकी सब चीजें महंगी।
Inflation का loop फिर शुरू।
👨🎓 विदेश पढ़ाई वाले स्टूडेंट्स का बजट फट गया
90.25 का फायदा डॉलर को मिलता है और नुकसान सीधे families को।
Tuition fees से लेकर living तक सब costlier।
🏭 मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री की हालत tight
कच्चा माल महंगा → उत्पादन लागत बढ़ी → margin कम।
💼 Exporters को थोड़ी राहत
जो लोग विदेशों को सामान बेचते हैं, उनके लिए ये weakening थोड़ी helpful होती है — पर overall economy को इससे राहत कम ही मिलती है।
सरकार और RBI की प्रतिक्रिया — क्या होगा अब?
सरकार और RBI के officials पूरी तरह active मोड में हैं।
RBI forex reserves का इस्तेमाल कर सकता है ताकि मार्केट में liquidity बनाई जा सके और रुपया को थोड़ी breathing space मिले।
लेकिन सच ये भी है कि global markets के सामने किसी भी देश की currency हमेशा बराबरी से नहीं लड़ पाती।
अगर आने वाले दिनों में हालात और खराब हुए, तो RBI को:
Dollar sell करना पड़ेगा
Interest rates tweak करनी पड़ेंगी
Market में intervention बढ़ाना पड़ेगा
ये सब देखा-सुना लगता है, पर हर बार असर अलग होता है।
लोग क्या कह रहे हैं?—Market का mood थोड़ा गर्म, थोड़ा confused
Social media पर हर कोई इस गिरावट की बातें कर रहा है।
बाजार के बड़े experts भी surprisingly candid हैं:
“रुपया अपने natural correction phase में है।”
“Global pressure है, India अकेला नहीं।”
“Short term tension है, long term fundamentals ठीक हैं।”
लेकिन ground पर लोग tension में हैं — और वो justified है।
ऐतिहासिक संदर्भ — कभी 40 रुपये में डॉलर मिलता था…
अगर पुराने जमाने वाली बात करूँ, जब पेट्रोल 30-35 रुपये था, तब डॉलर 40-45 में मिलता था।
और आज?
समय का पहिया — slow नहीं, turbo mode में घूमता है।
आर्थिक ग्राफ भी हवा के रुख की तरह बदलते हैं।
पर फिर भी, हर गिरावट एक learning होती है।
और हर गिरावट आगे बढ़ने की तैयारी भी।
आगे क्या?—Currency का future थोड़ा uncertain, थोड़ा hopeful
Global stability आएगी तो सुधार होगा।
Commodity prices गिरे तो INR संभलेगा।
Dollar weak हुआ तो रुपया naturally recover करेगा।
अभी vibe थोड़ी heavy है, पर long-term outlook उतना dark नहीं है।
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जयपुर मे सोने और चां...
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