उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यावसायिक शिक्षा में तमिल, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगु जोड़ीं: योगी आदित्यनाथ
- byAman Prajapat
- 03 December, 2025
भूमिका: एक बदलती हवा, एक पुरानी मिट्टी, और एक नया सफ़र
यूपी की धरती वैसे भी अपनी संस्कृति के लिए जानी जाती है—रामायण की जड़ें, गंगा का बहाव, काशी का पुराना धुआँ, और अवधी-ब्रज की मिठास। लेकिन वक़्त बदलता है, और समय चाहता है कि इंसान अपनी सीमाओं से बाहर निकले।
यही vibe लेकर, योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक दमदार फ़ैसला निकाला—व्यावसायिक शिक्षा में दक्षिण भारतीय भाषाएँ शामिल करना।
इसमें तमिल, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगु—चारों दिग्गज भारतीय भाषाएँ—अब यूपी के वोकेशनल पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।
यह कदम सिर्फ भाषा जोड़ने का नहीं, बल्कि एक बड़े सांस्कृतिक पुल का निर्माण है।
1. फैसले की घोषणा और उसका महत्व
योगी आदित्यनाथ ने खुले मंच पर कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है।
Gen Z वाली स्टेटस लाइन में कहें तो—
“Unity in diversity सिर्फ डायलॉग नहीं है bro, ये strategy है।”
इस फैसले से यूपी के छात्रों के लिए बहुत से रास्ते खुलते हैं—
दक्षिण भारत की booming industries
IT hubs (Bangalore, Hyderabad, Chennai)
hospitality sector
tourism
translation & interpretation jobs
government exams where regional language knowledge helps
pan-India corporate placements
एक राज्य जहाँ हिंदी और उर्दू मुख्य भाषाएँ हैं, वहाँ दक्षिणी भाषाओं को जोड़ना एक bold step है—जो ये दिखाता है कि यूपी अब 21st-century skill map पर खुद को बेहतर तरीके से फिट कर रहा है।
2. पारंपरिक मूल्यों के बीच नया सीखने का नजरिया
भारत सदियों से भाषाओं की भूमि रहा है। सुनीता से लेकर तमिलाभा, कृष्णदेव से लेकर थिरुवल्लुवर—इस देश की हर मिट्टी की अपनी आवाज़ है।
और यूपी का यह कदम, यह vibe देता है कि—
“भाई, भाषा को कभी सीमित मत समझो। यह सिर्फ बोलने की चीज़ नहीं, बल्कि जोड़ने का जरिया है।”
एक तरह से यूपी अपने छात्रों को यह बता रहा है:
“सीखो, आगे बढ़ो, और भारत की हर धारा से जुड़ो—क्योंकि देश एक है, आवाज़ें अनेक।”
3. नए पाठ्यक्रम में भाषाओं को कैसे शामिल किया जाएगा?
सरकार ने कहा है कि ये भाषाएँ vocational streams में skill-based modules के रूप में सिखाई जाएंगी:
Basic conversation
Practical vocabulary
Industrial communication
Work-place use cases
Culture familiarity
Customer interaction skills
अरे, simple term में बोलें तो—
“काम चलाने वाली नहीं, काम बढ़ाने वाली भाषा सिखाई जाएगी।”
4. UP के बच्चों के लिए फायदे
यूपी का युवा वैसे भी hustler है—skill सीखने से लेकर job hunt तक सब कर लेता है।
अब इन भाषाओं के आने से:
South India में jobs पाने का chance ↑
Government translation & tourism posts ↑
Multi-lingual workforce demand ↑
E-commerce, BPO, IT companies में selection rate ↑
Communication abilities में boost
यानी भाई, अब सिर्फ Noida-Gurgaon ही नहीं—
Hyderabad, Bangalore और Chennai भी बुलाएँगे।
5. राजनीतिक और सांस्कृतिक संदेश
यह step indirectly एक national integration vibe भी देता है—
जहाँ उत्तर और दक्षिण का cultural gap थोड़ा-सा पिघलता है।
Gen Z के अंदाज़ में कहें तो—
“North-South beef खत्म, अब सिर्फ skill और vibe की बात।”

6. छात्रों का उत्साह और ground reactions
कई जिलों में शुरूआती feedback एकदम positive आया है।
लोग कह रहे हैं—
“भाषा सीखकर competition बढ़ेगा।”
“South companies का exposure मिलेगा।”
“India एक है, तो भाषा भी हमें जोड़नी चाहिए।”
कई students तो बस इतनी खुशी में हैं कि—
“अब Bangalore का सपना थोड़ा पास लग रहा है भाई!”
7. चुनौतियाँ भी हैं (क्योंकि sugar-coat नहीं करेंगे)
सीधे बोलें—
चुनौतियाँ भी कम नहीं:
Qualified teachers की कमी
Study material develop करना
Students को नई script सीखने में परेशानी
Continuous practice की जरूरत
Evaluation system तैयार करना
लेकिन सरकार कह रही है कि ये सब step-by-step improve किया जाएगा।
8. भारत की भाषाई एकता का बड़ा lesson
देख यार, सच यही है—
भाषा सिर्फ शब्दों की लड़ी नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने वाली डोर है।
जब यूपी के बच्चे तमिल बोलेंगे,
जब तमिलनाडु के लोग अवधी सुनेंगे,
जब कन्नड़ और भोजपुरी का मज़ेदार मिलन होगा—
तभी असल में भारत एक complete चित्र जैसा लगेगा।
यह निर्णय उसी दिशा में एक छोटा लेकिन बहुत मजबूत कदम है।
9. भविष्य का रास्ता: multi-lingual India
World पहले से globalized है।
Businesses pan-India operate करते हैं।
Language = opportunity.
यह बात अब हर राज्य समझ रहा है।
यूपी का यह फैसला संकेत देता है कि आने वाले समय में:
Multi-lingual education norm बन जाएगा
Culture exchange programs बढ़ेंगे
Students pan-Indian identity को बेहतर समझेंगे
यानी, पुरानी मिट्टी में नए बीज बोए जा रहे हैं।
10. एक poetic बात जो UP के vibe को suit करती है
भाषाएँ जब मिलती हैं,
तो सरहदें पिघलती हैं।
शब्द जब साझा होते हैं,
तो दिल पास आते हैं।
यूपी की गलियों से
तमिलनाडु के मंदिरों तक,
तेलुगु की मधुर धुन से
मलयालम की शांति तक—
हम सब एक ही कथा के पात्र हैं,
बस बोलियाँ अलग हैं।
निष्कर्ष: एक bold, modern और culturally rooted कदम
UP सरकार का यह फैसला practical भी है और symbolic भी।
यह skill भी देता है, और भारत की unity-vibe को भी strong करता है।
Gen Z स्टाइल में बोलें तो—
“Smart move, solid timing, और long-term फायदे guaranteed।”
UP का youth पहले ही ambitious है,
अब language skills उसे और दूर ले जाएँगी।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
"हाईकोर्ट ने प्राइव...
Related Post
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.








