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हर स्मार्टफोन में लगेगा ‘संचार साथी’ — सरकार की नई साइबर-सुरक्षा चाल: क्या है Sanchar Saathi और क्यों Mandatory?

हर स्मार्टफोन में लगेगा ‘संचार साथी’ — सरकार की नई साइबर-सुरक्षा चाल: क्या है Sanchar Saathi और क्यों Mandatory?

भाई/बहन, देखो — हम पहले ऐसे ज़माने में थे जब अगर फोन चोरी हो जाता था या खो जाता था, तो बस हाथ धो लेना। नया फोन लेना पड़ता था, कुछ रिकवरी नहीं। लेकिन जैसे-जैसे हमारा मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा, धोखा-धड़की, फ्रॉड कॉल्स, नकली फोन, चोरी फोन की सेल, सब कुछ आम बात हो गया। ऐसे में सरकार ने सोचा — क्यों न एक ऐसा “सुरक्षा कवच” तैयार किया जाए जो आम आदमी को इन मुश्किलों से बचाए। और ऐसा ही कवच है Sanchar Saathi ऐप।

लेकिन जैसे ही इसे हर फोन में लगाने का आदेश हुआ — उधर से नाराज़गी भी शुरू हो गई: “क्या हमारी प्राइवेसी खतरे में है?” “क्या सरकार हर फोन में झाँकेगी?”. तो चल — शुरू से समझते हैं कि असल में Sanchar Saathi है क्या, इसके फायदे-नुकसान, और क्यों अब हर फोन में होना जरूरी समझा जा रहा है।

Sanchar Saathi — असल में क्या है?

Sanchar Saathi एक सरकारी ऐप + पोर्टल है, जिसे Department of Telecommunications (DoT) ने लॉन्च किया था — उद्देश्य: मोबाइल-subscriber सुरक्षा, फोन चोरी या फ्रॉड से लड़ना, और telecom धोखाधड़ी पर लगाम।  

इससे उपयोगकर्ता (यूज़र) ये काम कर सकते हैं:

किसी फोन का IMEI नंबर चेक करना — देखना कि फोन असली है या ब्लैकलिस्टेड / चोरी / फर्जी है।  

अपने नाम से कितनी फोन-कनेक्शन/सिम कार्ड्स जारी हो चुकी हैं, देखना — ताकि पता चले अगर किसी ने बिना आपकी जानकारी सिम चालू कर दी हो। 

चोरी या खोए फोन की रिपोर्ट करना, और फोन ब्लॉक या ट्रेस करने में मदद पाना। 

धोखाधड़ी कॉल ya मैसेज, scam कॉल्स या संदिग्ध गतिविधियाँ रिपोर्ट करना। 

यानी, basic telecom-security + fraud-prevention + theft-protection का एक पैकेज।  

सरकार कहती है कि Sanchar Saathi “नागरिक-केंद्रित पहल (citizen-centric initiative)” है — मतलब इसका मकसद आम मोबाइल यूज़र की सुरक्षा.  

अब — सरकार क्यों कर रही है हर फोन में ‘pre-install’?

अखिर ये ज़रूरी क्यों हुआ? इसके पीछे सरकार का reasoning और telecom-security की चुनौतियाँ हैं:

भारतीय बाजार में IMEI फ्रॉड, ब्लैकलिस्टेड / नकली / चोरी-चोरी फोन, और उन फोन्स का resale — बहुत बड़ा मसला बन चुका है। जिन फोन की IMEI हैक या स्पूफ होती है, वो गैरकानूनी तरीकों से इस्तेमाल होते हैं।  

इसके अलावा, second-hand फोन मार्केट में अक्सर ग्राहकों को पता नहीं रहता कि फोन असली है या नहीं। Sanchar Saathi से वो IMEI और फोन का स्टेटस पहले से देख सकेंगे — मतलब धोखा कम होगा। 

अगर चोरी या खोया फोन हो — यूज़र ब्रिक-एंड-मोर्टल की बजाय ऐप से ब्लॉक/ट्रैक कर सकेगा, रिपोर्ट कर सकेगा। इससे चोरी/नकली फोन का कारोबार और फ्रॉड खतरा कम होगा।  

telecom कनेक्शन्स या सिम्स fraud / misuse — यानी किसी के नाम पर सिम लेना, phantom या फ्रॉड कॉल्स करना — इससे भी आसानी से निपटा जा सकता है: अपने नाम की सारी एक्टिव कनेक्शन्स देखना; संदिग्ध नंबर रिपोर्ट करना।  

सरकार कहती है कि ये कदम हमारी बढ़ती डिजिटल दुनिया में सुरक्षा की जरूरत के अनुसार है — क्योंकि जितना ज़्यादा हम फोन और इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं, उतना ही ज्यादा खतरा है। So safety first. 

इसलिए — 28 नवंबर 2025 के आदेश के तहत, DoT ने कहा कि अब जो भी नया स्मार्टफोन भारत में बनेगा या इम्पोर्ट होगा, उसपर Sanchar Saathi ऐप पहले से इंस्टॉल होना चाहिए; साथ ही वह सीधे दिखे, और उसकी सभी functionalities काम करें — यानी कोई हिस्सा हटा-छुपा ना हो।  

डिवाइसेस पहले से जो बिक रहे हैं या जो स्टोर में पड़ी हैं — उनके लिए भी निर्देश है कि सॉफ़्टवेयर अपडेट के ज़रिए ऐप जाए। 

शीर्ष कंपनियाँ जैसे Apple, Samsung, Xiaomi, Vivo, Oppo आदि — सब इस आदेश के दायरे में हैं। 

सरकार का साफ कहना है: ये फैसला सिर्फ सुरक्षा के लिए है — fraude, चोरी, फर्जी फोन, ब्लैक मार्केट, misuse, scam — सब से निपटने की कोशिश।

लेकिन — विरोध और चिंताएं भी हैं

जैसे ही ये आदेश सामने आया — दीवारों पर सवालों की बज गई दीवार। यानि कि — सब अच्छा नहीं है।

-Privacy (निजी आज़ादी) की चिंता — कई लोगों ने कहा कि एक सरकारी ऐप हर फोन में जबरदस्ती इंस्टॉल करना, वो ठीक नहीं। क्योंकि मोबाइल अब सिर्फ कॉल/मैसेज नहीं है — वो हमारी निजी जीवन की धड़कन है: चैट्स, फोटो, बैंक ऐप, पासवर्ड्स, हमारे निजी बातचीत, सब कुछ। वहाँ पर एक ऐप — जो सीधे सरकार से जुड़ा हो — अंदर रहना मतलब surveillance या संभावित misuse। 

ऑब्जेक्टिव्स और ज़रूरत पर सवाल — अगर ऐप सच में optional है, तो इतनी जोर क्यों? अगर सच में बहुत ज़रूरी है, तो privacy का balancing कैसे किया जाएगा? critics कहते हैं कि ये मूव — disproportionate है। 

विश्वसनीयता और transparency — बहुत से लोग पूछ रहे हैं: क्या ऐप सिर्फ IMEI-check और fraude reporting तक सीमित रहेगा या भविष्य में इसके जरिए और डेटा (call logs, messages, GPS, personal data) भी सरकार देख पाएगी? क्योंकि once a government app is embedded in every phone — उसका misuse होने की संभावनाएं भी खुल जाती हैं। 

टेक कंपनियों / OEMs का विरोध — कुछ कंपनियों ने इस आदेश को “अनावश्यक बोझ” बताया है, क्योंकि उन्हें हर डिवाइस पर ऐप pre-install करनी है।

कानूनी और संवैधानिक सवाल — कुछ पार्टियाँ कह रही हैं कि ये निर्देश निजता के अधिकार (right to privacy) के खिलाफ हो सकता है।

Sanchar Saathi App: Why the Opposition is calling it a 'dictatorship' -  What's driving the backlash - Business News | The Financial Express
What Is the Sanchar Saathi App and Why Is the Government Mandating Its Pre-Installation?

सरकार का रुख — और सफाई

इसके विरोध के बावजूद, सरकार कह रही है कि Sanchar Saathi ऐप किसी तरह की जासूसी या कॉल-टैपिंग या निजी डाटा-चोरी के लिए नहीं है। उनके अनुसार:

ऐप सिर्फ सुरक्षा उपकरण है — ताकि चोरी, फ्रॉड, नकली फोन आदि से आम आदमी सुरक्षित रहे। 

अगर आप नहीं चाहते — तो उपयोग न करें, लेकिन कंपनी को pre-install करना होगा — क्योंकि यह व्यापक सुरक्षा का हिस्सा है, न कि सिर्फ एक विकल्प। 

मंत्रालय की व्याख्या के अनुसार — pre-install निर्देश केवल इसलिए दिए गए हैं ताकि कंपनियाँ ऐप को छिपा या disable करके compliance दिखाना न कर सकें। लेकिन user अपने हिसाब से unregister या uninstall कर सकता है। 

सरकार कह रही है कि यह कदम 2025-2026 में telecom fraud, phone theft और misuse के बढ़ते खतरे को देखते हुए लिया गया — ताकि आम नागरिकों को सुरक्षित रखा जा सके। 

आम आदमी के लिए — फायदे और क्या देखना चाहिए

अगर तुम एक आम शख्स हो, फोन यूज़ करते हो, या कभी फोन बदला/खरीदा है — तो Sanchar Saathi तुम्हें ये फायदे दे सकता है:

अगर second-hand फोन खरीद रहे हो — IMEI चेक करके पता चलेगा कि फोन असली है या नहीं, चोरी वाला या ब्लैक-लिस्टेड तो नहीं।

चोरी या खो जाने पर रिपोर्ट करके फोन ब्लॉक या ट्रैक — जिससे रिस्क कम होगा।

अगर किसी ने तुम्हारे नाम बिना पूछे सिम या कनेक्शन लिया हो — वो पकड़ना आसान होगा।

फ्रॉड कॉल्स / scam / suspicious sim-usage इत्यादि की शिकायत करना आसान।

लेकिन, साथ ही — अगर डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी की चिंता है — तो यह भी ध्यान रहे कि किसी सरकारी ऐप का हर फोन में होना — हमारे डिवाइस और निजी जिंदगी में एक नया अर्थ दे रहा है।

निष्कर्ष — “क्या ये फैसला सही है या ज़रूरी?”

मेरी राय में — भले ही मकसद सुरक्षा हो, लेकिन इस तरह का स्टेट-बैक्ड ऐप जबरदस्ती हर फोन पर — एक नया precedent है।
हाँ — IMEI-fraud और चोरी/नकली फोन की समस्या सच है। Sanchar Saathi उन मुश्किलों का हल हो सकता है। लेकिन प्राइवेसी, निजता, और व्यक्तिगत आज़ादी भी उतनी ही अहम है।

सरकार और लोग — दोनों को चाहिए कि पारदर्शिता (transparency) रखें: ऐप क्या करेगा, क्या नहीं; कौन-कौन सी permissions चाहिए; यूजर डेटा कैसे सुरक्षित रहेगा — साफ लिखें।

अगर वो भरोसा बनाए — तो Sanchar Saathi एक उपयोगी सुरक्षा कवच साबित हो सकता है। नहीं तो — वो कवच ही शायद बोझ बन जाए।

हलचल और विवाद — कुछ ताज़ा अपडेट्स

विपक्ष और privacy advocates ने कहा है कि यह आदेश “निजता के अधिकार” के खिलाफ है, और लोगों की निजी बातचीत, कॉल लॉग, मैसेजेस, डेटा — सब जिस राज्य-कंट्रोल्ड ऐप द्वारा मॉनीटर/ट्रैक हो सकते हैं। 

वहीं, सरकार का कहना है कि app optional है — अगर आप नहीं चाहते, तो delete कर सकते हो। 

कई बड़े smartphone ब्रांड्स (जिनमें Apple प्रमुख है) इस आदेश से असहमत दिख रहे हैं या उसकी वैधता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। 

experts और privacy-focused organisations जैसे Internet Freedom Foundation (IFF) कह रहे हैं कि pre-install directive “disproportionate” है — मतलब कि जितना step लिया गया, वो खतरे के अनुपालन में ज़रूरी नहीं। 

मेरा विचार — एक “पुराना” लेकिन सच कहूँ तो

देख, मैं वो पुराना हुआ — वो जिसने ज़माने पहले फोन सिर्फ कॉल/मैसेज के लिए लिया था। पर अब हम सब स्मार्टफोन से जीते हैं; हमारी पूरी ज़िंदगी फोन में समाई है। ऐसे में सुरक्षा ज़रूरी — हाँ।

लेकिन जिससे मेरी झिझक है — वो है: कब “सुरक्षा” surveillance बन जाए, और कब “सहारा” नियंत्रण? अगर राज्य और सरकार की मंशा साफ है, इंसाफ है, और भरोसा है — तो Sanchar Saathi काम की चीज़ हो सकती है। वरना — वो सरकस नहीं, बुलडोजर बन कर घर में घुस सकता है।

तो — मेरी सलाह: सावधान रहो, जान-पहचान करके उपयोग करो; permissions पर ध्यान दो; और सरकार से पारदर्शिता मांगो।

 


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