Follow Us:

Stay updated with the latest news, stories, and insights that matter — fast, accurate, and unbiased. Powered by facts, driven by you.

WHO ने GLP-1 दवाओं द्वारा मोटापे (obesity) के इलाज को दी हरी झंडी — लेकिन डायट और एक्सरसाइज साथ में ज़रूरी

WHO ने GLP-1 दवाओं द्वारा मोटापे (obesity) के इलाज को दी हरी झंडी — लेकिन डायट और एक्सरसाइज साथ में ज़रूरी

दूर तलक फैलती मानवता की उस बीमारी पर, जिसे हम मोटापा कहते हैं — World Health Organization (WHO) ने अब आखिरकार कहा है कि इसे “किसी की लापरवाही” न समझकर, एक दीर्घकालिक रोग माना जाए। 1 दिसंबर 2025 को, WHO ने अपने पहले-ever वैश्विक दिशानिर्देश जारी किए — जिनमें उन दवाओं को शामिल किया गया है, जिन्हें हम GLP-1 थेरेपी कहते हैं। 

🔹 GLP-1 थेरेपी क्या है — और क्यों

GLP-1 (Glucagon-Like Peptide-1) रिसेप्टर एगोनिस्ट दवाएं — जैसे कि semaglutide, liraglutide, और tirzepatide — मूल रूप से मधुमेह (type-2 diabetes) के इलाज के लिए बनाई गयी थीं। पर अध्ययन दिखा कि ये भूख को कम करती हैं, पाचन धीमा करती हैं, जिससे कैलोरी इन्टेक घटती है, और कई मामलों में मरीजों ने — डायट या एक्सरसाइज के साथ — अपना वजन 15–25% तक घटाया। 

अब WHO कह रही है कि मोटापा — सिर्फ “थोड़ा ज़्यादा वजन” नहीं, बल्कि एक गंभीर, दीर्घकालिक चिकित्सा समस्या है। और ऐसे मामलों में, GLP-1 दवाएं — लेकिन सिर्फ दवाएं — नहीं, बल्कि पूरा इलाज योजना होनी चाहिए। 

🔹 WHO की सिफारिशें — लेकिन कुछ शर्तों के साथ

ये दवाएं वयस्कों में उपयोग की जा सकती हैं — लेकिन गर्भवती महिलाएं इससे बाहर हैं।  

दवा दीर्घकालिक उपयोग के लिए हो — सिर्फ एक बार की ‘क्विक फिक्स’ नहीं। 

दवाओं के साथ गहन behavioral interventions — यानी, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, जीवनशैली में संयम और हेल्थ-प्रोफेशनल की देखरेख — ज़रूरी हैं। 

WHO ने स्पष्ट किया है: दवाएं अकेले मोटापे की “दुनिया समस्या” हल नहीं कर सकती; सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य-प्रणाली स्तर पर व्यापक सुधार ज़रूरी है। 

GLP-1 Medications: Everything You Need to Know
WHO Endorses Use of GLP-1 Drugs for Weight Loss Alongside Diet and Exercise

🔹 उम्मीद और सीमाएं — क्यों ये गाइडलाइन मायने रखती है

इस कदम की वज़ह ये है कि: मोटापा सिर्फ व्यक्तिगत “गलत आदत” नहीं, बल्कि एक जटिल, कमज़ोर स्वास्थ्य-स्थिति है, जो डायबिटीज, हृदय रोग, गुर्दे की समस्या, कुछ कैंसर और अन्य गंभीर रोगों का दरवाज़ा खोलती है।  

GLP-1 दवाएं — जब सही तरीके से इस्तेमाल हों — उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण हो सकती हैं, जिन्होंने पारंपरिक डाइट-एंड-एक्सरसाइज से कोई राहत नहीं पाई।

लेकिन WHO ने “conditional recommendation” दी है — यानी, यह कोई सुनामी नहीं है; इससे जुड़े जोखिम, लागत, दीर्घकालिक प्रभाव और स्वास्थ्य-प्रणाली की तैयारी पर अभी भी सवाल हैं। 

उन देशों के लिए, जहाँ स्वास्थ्य-सुविधाएं, दवाओं की क़ीमत और जन-स्मृति सीमित हो सकती है, GLP-1 थैरेपी को लागू करना आसान नहीं होगा। WHO ने कहा है कि 2030 तक, आवश्यक लोगों में से शायद ही 10% इसे पा सकेंगे — यदि कोई बड़ी रणनीति नहीं बनाई गई। 

🔹 दवा अकेली, समाधान नहीं — जीवनशैली का महत्व

लालिमा, सुस्ती, भूख न लगना — GLP-1 दवाओं के आम दुष्प्रभाव हैं। nausea, vomiting, पाचन से जुड़ी असुविधाएँ और कभी-कभी गंभीर समस्याएं जैसे पैंक्रियाटाइटिस का खतरा भी जुड़ा हुआ है।  

इसलिए, अगर आप ट्राई करना चाह रहे हों — तो याद रखिए: ये कोई shortcut नहीं है। असली काम आपके हाथ में है — संतुलित आहार, रोज़ाना हल्की या मध्यम व्यायाम, और सही समय पर मेडिकेशन + डॉक्टर की देखरेख।

🔹 मोटापे से लड़ने की दार्शनिक/सामाजिक लड़ाई

WHO का यह कदम सिर्फ दवाई देने का नहीं — सोच बदलने का है। इसे स्वीकार करना कि मोटापा “शर्म” की बात नहीं, बल्कि स्वास्थ्य समस्या है — यह बड़ा बदलाव है।

लेकिन साथ ही, यह हम पर भी दायित्व डालता है — कि हम अपनी जीवनशैली और समाज की क्रूर टोकन-मेडिकलाइज़ेशन की मानसिकता से बाहर निकलें। दवाएं मदद कर सकती हैं — लेकिन वास्तव में गहराई में बदलाव चाहिए: खानपान, व्यायाम, मानसिक समझ, और सामाजिक समर्थन।


Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.

Share: