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अमित शाह तोड़ेंगे गृह मंत्री का रिकॉर्ड, जम्मू-कश्मीर पर हो सकता है बड़ा फैसला

अमित शाह तोड़ेंगे गृह मंत्री का रिकॉर्ड, जम्मू-कश्मीर पर हो सकता है बड़ा फैसला

📰 इतिहास रचने जा रहे अमित शाह: सबसे लंबे कार्यकाल वाले गृह मंत्री बनने की ओर, जम्मू-कश्मीर पर हो सकता है बड़ा फैसला

नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025:
भारत के गृह मंत्री अमित शाह आज एक ऐतिहासिक मुकाम की ओर बढ़ रहे हैं। 5 अगस्त का दिन उनके राजनीतिक जीवन में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। इस दिन वे लालकृष्ण आडवाणी का रिकॉर्ड तोड़कर भारत के सबसे लंबे कार्यकाल वाले गृह मंत्री बन जाएंगे। आडवाणी ने 6 साल और 64 दिन इस पद पर सेवा दी थी, जबकि अमित शाह आज 6 साल 65 दिन पूरे कर लेंगे।

🔹 अमित शाह का अब तक का कार्यकाल:

अमित शाह ने 30 मई 2019 को देश के गृह मंत्री का कार्यभार संभाला था। इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक और साहसिक फैसले लिए जिनमें सबसे बड़ा कदम था — 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35A को हटाना। इसके जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया — जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।

🔹 फिर से इतिहास दोहराने की तैयारी?

2025 में फिर से 5 अगस्त की तारीख चर्चा में है। इस बार वजह है अमित शाह का रिकॉर्ड और साथ ही जम्मू-कश्मीर को लेकर संभावित एक और बड़ा फैसला। बीते कुछ दिनों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठकों का सिलसिला तेज हुआ है। सूत्रों का दावा है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने या विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा जैसे किसी बड़े निर्णय पर विचार कर रही है।

🔹 राजनैतिक संकेत और कयास:

गृहमंत्री अमित शाह राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिलने संडे को राष्ट्रपति भवन पहुंचे.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अमित शाह की छवि को और मजबूत करेगा, विशेषकर ऐसे समय में जब 2029 के आम चुनाव की रणनीतियाँ बन रही हैं। जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास को लेकर अमित शाह कई बार संकेत दे चुके हैं कि “अब समय है लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली का।”

🔹 अमित शाह की कार्यशैली और विरासत:

अमित शाह को उनकी कठोर निर्णय क्षमता, रणनीतिक दृष्टिकोण और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल में नक्सल प्रभावित इलाकों में सख्त कार्रवाई हुई, आतंकी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण लाया गया और CAA, NRC जैसे मुद्दों पर भी वह केंद्र में रहे।

🔹 विपक्ष की नजरें और सवाल:

जहां बीजेपी इस दिन को ‘शक्ति और स्थिरता’ का प्रतीक मान रही है, वहीं विपक्ष सवाल उठा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल करने में इतनी देरी क्यों हुई? कांग्रेस और अन्य दलों का आरोप है कि सरकार केवल रिकॉर्ड बनाने और प्रतीकात्मक तारीखों पर राजनीति कर रही है।

📌 निष्कर्ष:

5 अगस्त 2025 सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतीक बन चुकी है — 2019 में अनुच्छेद 370, और अब 2025 में गृह मंत्रालय का रिकॉर्ड। यदि सरकार सचमुच जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला करती है, तो यह अमित शाह के लिए न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि होगी, बल्कि भारतीय राजनीति के इतिहास में एक और साहसिक मोड़ होगा।


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