विदेशी फंड की ताज़ा बरसात और ग्लोबल बाज़ारों की मजबूती से भारतीय शेयर बाज़ार में तेज़ रैली
- byAman Prajapat
- 20 November, 2025
भैया, सुबह-सुबह जब लोग चाय की पहली घूंट लेते हैं न, तभी दलाल स्ट्रीट ने भी आज अपनी पहली साँस कुछ अलग ही ताज़गी के साथ ली। जैसे पुराने ज़माने के मेले में ढोल बजते ही गाँव के लोग उमड़ पड़ते थे—वैसे ही आज बाज़ार में खरीदारी की ऐसी भीड़ उतरी कि स्क्रीनें भी चमक उठीं।
ग्लोबल मार्केट्स, जो कल रात तक खुद अपनी चाल संभाल रहे थे, आज भारतीय बाज़ारों को ऐसा भरोसा दे गए जैसे कोई बड़ा भाई छोटे को कंधे पर हाथ रखकर कह दे—“चल, आज तू उड़।”
और भाई, भारतीय मार्केट उड़ा भी… ऐसे उड़ा जैसे दिसंबर की ठंडी हवा में पतंग तेज़ी से आसमान को चीरती जाए।
🔥 शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स-निफ्टी की आग
जैसे ही घंटी बजी, सेंसेक्स ने अपनी परंपरा निभाते हुए मजबूती से कदम रखा।
निफ्टी भी पीछे रहने वालों में नहीं—दोनों इंडेक्स ने ऐसी छलांग लगाई कि सुबह देखने वालों को लगा, “ओए, ये सीन तो cinematic है।”
बैंकिंग स्टॉक्स ने धीर-गंभीर अंदाज़ में बाज़ार को सहारा दिया—
IT ने अपनी tech-boy energy के साथ मसाला चढ़ाया—
और ऑटो सेक्टर ने तो literal vroom कर दिया।
💸 विदेशी फंडों की एंट्री—जैसे बरसात के बाद पहली मिट्टी की खुशबू
FII यानी Foreign Institutional Investors…
भाई, इनकी एंट्री वैसे ही होती है जैसे कोई राजा अपने सैन्य के साथ शहर में घुसता है—
और उनकी एंट्री हमेशा रैली लेकर आती है।
आज भी हुआ वही—
कई दिनों की सूखी चाल के बाद ताज़ा inflows देख मार्केट का मूड ऐसा खिल गया जैसे बचपन में नए जूते पहनकर पहला दिन स्कूल जाना।
FII की खरीदारी का असर पूरे बाज़ार में लहरों की तरह फैल गया—
हर सेक्टर में उत्साह, हर कैंडल में हरियाली, हर निवेशक के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान।
🌍 ग्लोबल मार्केट्स—रात का दिया जो सुबह भी रास्ता दिखाता रहा
वैश्विक बाज़ारों की मजबूती ने भारतीय बाज़ार को बैकअप दिया।
US मार्केट्स हरे रंग में बंद हुए थे, यूरोपीय बाज़ारों में स्थिरता थी, एशियाई मार्केट्स ने positivity serve की—
और भारत ने इसे दिल पर हाथ रखकर स्वीकार भी किया।
भाई, ट्रेडिंग में sentiment ही सब कुछ होता है—
और आज sentiment इतना Strong था कि बेचने वाले भी सोचते रह गए—
“यार, रोक दूँ क्या थोड़ी देर?”
📈 सेक्टर्स जो आज बोले—"हम भी हैं मैदान में"
1. बैंकिंग – भाई, literal backbone।
Private banks ने ताज़ा शक्ति दिखाई, PSU banks पुराने योद्धा जैसी शांति।
2. IT – डॉलर मजबूत, global demand stable—IT stocks बोले “चलो, हम भी उछलें।”
3. Auto – फेस्टिव energy अभी भी मार्केट में टिकी है—ऑटो सेक्टर ने sweet run लिया।
4. Metal – चीन की recovery news ने इन्हें भी थोड़ी life supply कर दी।
5. FMCG – steady kings, अपनी परंपरा निभाते हुए शांत पर मज़बूत।

📉 लेकिन भाई, सावधान रहना ज़रूरी है
हाँ, रैली अच्छी है।
हाँ, पैसा बह रहा है।
हाँ, स्क्रीनें हरी हैं।
लेकिन मार्केट हमेशा किसी के बाप की जागीर नहीं—
sudden reversals, profit booking, geopolitical dramebaazi—सब अंदर ही अंदर simmer कर रहे होते हैं।
जैसे बुज़ुर्ग कहते हैं—
“तेज़ घोड़ा भी लगाम मांगता है।”
वैसे ही मार्केट भी discipline मांगता है।
💬 निवेशकों का मूड
Gen Z style में बोलूँ तो—
आज का मार्केट full “vibes high, risk low” mode में था।
लोग बोले—
“अरे वाह, आज तो portfolio ने dopamine दे दिया यार।”
“Finally, mera red sea green हो गया!”
“Sensex behaving like it drank an energy drink.”
और सच कहूँ—
ऐसी रैली सुबह का पूरा day बना देती है।
💼 आगे क्या? (Reality Check)
भाई, रैली हर दिन नहीं आती।
कल global cues बदल भी सकते हैं।
FII mood भी swingy होता है—कभी प्यार में, कभी दूर।
लेकिन फिलहाल मार्केट की हवा दक्षिण की तरफ नहीं बल्कि एकदम मेरठ की तेज़ आँधी की तरह उत्तर की ओर बह रही है।
📜 निष्कर्ष—एक पुरानी सीख, एक नई सुबह
आज का दिन शेयर बाज़ार के लिए वैसा ही था जैसे किसी पुराने किसान के खेत में अचानक फायदा दिख जाए—
परंपरा, उम्मीद, और तूफानी चाल—तीनों ने साथ मिलकर ऐसा नज़ारा बनाया कि Record books भी सोचे—
“वाह, आज दलाल स्ट्रीट ने poetry लिख दी।”
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जयपुर मे सोने और चां...
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