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भारत-रूस ने राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार जारी रखने की मुहर लगाई; 2030 तक $100 अरब व्यापार लक्ष्य तय

भारत-रूस ने राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार जारी रखने की मुहर लगाई; 2030 तक $100 अरब व्यापार लक्ष्य तय

दुनिया तेजी से बदल रही है, लेकिन 5 दिसंबर 2025 की वो शाम कुछ अलग थी — भारत सरकार और रूसी सरकार ने अपने आर्थिक रिश्तों को एक नई दिशा दी। 23वीं वार्षिक भारत-रूस शिखर बैठक के बाद, दोनों राष्ट्रों ने मिलकर यह तय किया कि वे अपने द्विपक्षीय व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं — भारतीय रूपया और रूबल — की उपयोगिता बढ़ाएंगे। 

💱 मुद्रा आधारित नया نظام

अब सिर्फ डॉलर या यूरो नहीं — भारत और रूस का मकसद है कि अधिक से अधिक सौदे रूपया और रूबल में हों। इस नए बुनियादी समझौते के बाद, सीमा पार भुगतान और व्यापार की व्यवहारिकता बहुत आसान होगी, और मुद्रा रूपांतरण की जटिलताओं से छुटकारा मिलेगा। 

दरअसल, रूस के मुताबिक़ — अब तक लगभग 96 प्रतिशत व्यावसायिक लेन-देन राष्ट्रीय मुद्राओं में हो रहा है। 

2030 तक $100 अरब का बड़ा लक्ष्य

इस नए आर्थिक रोडमैप के अंतर्गत, दोनों देश 2030 तक अपनी द्विपक्षीय व्यापार राशि को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय कर चुके हैं। 

इसके लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं — गैर-टैरिफ बाधाओं (non-tariff barriers) को हटाना, कस्टम नियमों और लॉजिस्टिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाना, और व्यापार वृद्धि के लिए निवेश व भागीदारी को प्रोत्साहित करना। 

विविध सेक्टरों में विस्तार की तैयारी

यह पहल सिर्फ तेल-गैस या ऊर्जा तक सीमित नहीं। भारत और रूस चाहते हैं कि कृषि, उर्वरक, इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी, औषधियाँ, मशीनरी — कई क्षेत्रों में यह मुद्रा-आधारित व्यापार प्रणाली काम करे। 

उदाहरण के लिए: भारत की कृषि व उर्वरक मांग, रूस की खनिज, ऊर्जा व उर्वरक आपूर्ति, टेक्सटाइल, फार्मा आदि क्षेत्रों में दोनों तरफ़ व्यापार बढ़ने की उम्मीद है। 

नए लॉजिस्टिक व भुगतान चैनल

पुरानी सीमाओं को तोड़ने का इरादा है — नई ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, कस्टम सुधार, डिजिटल भुगतान प्रणालियों का समन्वय। दोनों देश राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों, वित्तीय मैसेजिंग प्लेटफार्म, और केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) जैसे भविष्य-उन्मुख रास्तों पर बातचीत जारी रखेंगे।

इसके साथ ही, व्यापारिक कंपनियों के लिए आसान और भरोसेमंद लेन-देन सुनिश्चित करने हेतु बैंकिंग नेटवर्क और विशेष खातों (Vostro accounts) को मजबूत करना भी शामिल है। 

India, Russia agree to continue working towards enhancing trade in national  currencies - The Hindu
India and Russia to Continue Efforts to Boost Trade in National Currencies

क्यों यह कदम बड़ा है — और भारत-रूस के लिए मायने

स्वतंत्रता व आत्मनिर्भरता — डॉलर या पश्चिमी वित्तीय दबावों से निर्भरता कम होकर, दोनों देश अपनी आर्थिक नीतियों में अधिक आत्मनिर्भर हो सकेंगे।

भरोसे और स्थिरता — मुद्रा अस्थिरता, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा परिवर्तनों, साख काम में कठिनाइयों आदि की चिंता कम होगी। बैंकों द्वारा आसान क्रॉस-बॉर्डर भुगतान, त्वरित लेन-देन और कम लागत सुनिश्चित होगी।

विस्तारित व्यापार अवसर — भारत का कृषि, टेक्सटाइल, फार्मा, मशीनरी, वस्त्र आदि निर्यात रूस की मांग से मेल खा सकती है; वहीं रूस की ऊर्जा, उर्वरक, खनिज आपूर्ति भारत की जरूरत से जुड़ सकती है।

भविष्य के प्रोजेक्ट्स व साझेदारियाँ — जैसे कि नई परमाणु ऊर्जा परियोजनाएँ, न्यूक्लियर को-ऑपरेशन, टेक्नोलॉजी हस्तांतरण, निवेश, और लॉजिस्टिक नेटवर्क्स।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हाँ — आसान नहीं होगा। कस्टम्स, लॉजिस्टिक, भुगतान नियमों में सामंजस्य बनाना, बैंकिंग सिस्टम्स की मजबूती, मुद्रा दरों की स्थिरता — इन सब पर काम करना होगा। साथ ही, व्यापार के अन्य पहलुओं जैसे गुणवत्ता मानक, निर्यात-आयात संतुलन, जरूरत के मुताबिक़ उत्पादन व मांग — इन सब पर तालमेल जरूरी होगा।

लेकिन जैसा कि दोनों देशों ने खुद कहा है — “अब हम मिशन मोड में हैं”। 


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