ईडी ने अनिल अंबानी को फिर तलब किया — बैंक धोखाधड़ी मामले में 14 नवंबर को पूछताछ
- byAman Prajapat
- 06 November, 2025
देश के आर्थिक अपराधों की जांच में लगी केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को तलब किया है। यह समन कथित बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा हुआ है। ईडी ने अनिल अंबानी को 14 नवंबर 2025 को पूछताछ के लिए पेश होने का आदेश दिया है।
यह मामला कई बैंकों से लिए गए भारी-भरकम कर्ज़ों की जांच से जुड़ा है, जिन पर चुकौती न होने और फंड डायवर्जन के गंभीर आरोप हैं। एजेंसी के अनुसार, रिलायंस ग्रुप की कुछ कंपनियों को बैंकों से मिले कर्ज का उपयोग निर्धारित उद्देश्यों से अलग जगहों पर किया गया, जिससे कई वित्तीय संस्थाओं को भारी नुकसान हुआ।
सूत्रों ने बताया कि ईडी ने हाल ही में नए बैंकिंग दस्तावेज़, ईमेल कम्युनिकेशन और फंड ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड्स जुटाए हैं, जिनसे कुछ नए एंगल खुले हैं। इन्हीं नए सबूतों के मद्देनज़र अनिल अंबानी को दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया है। जांच एजेंसी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कर्ज़ की रकम का असल इस्तेमाल किसने और कहाँ किया।
बताया जा रहा है कि यह केस लगभग 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों से जुड़ा है। जांच में ईडी को कई विदेशी खातों, टैक्स हेवन्स और शेल कंपनियों के बीच फंड ट्रांसफर के संकेत मिले हैं। एजेंसी अब इन ट्रांजैक्शनों की बेनामी कड़ियों को जोड़ने में जुटी है।
अनिल अंबानी ने इस मामले पर पहले भी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि उन पर लगाए जा रहे सभी आरोप “झूठे, भ्रामक और राजनीतिक रूप से प्रेरित” हैं। उनका दावा है कि उनकी सभी कंपनियाँ भारतीय कानूनों के तहत पारदर्शिता के साथ काम करती हैं और उन्होंने किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि में भाग नहीं लिया है।

ईडी ने इससे पहले भी अनिल अंबानी से पूछताछ की थी, लेकिन एजेंसी के मुताबिक, अब जांच में नई जानकारियाँ सामने आई हैं, जो पूरे नेटवर्क को और गहराई से समझने के लिए ज़रूरी हैं। माना जा रहा है कि इस बार की पूछताछ में ईडी कॉर्पोरेट गारंटी, लोन अप्रूवल प्रोसेस, और विदेशी निवेशकों की भूमिका जैसे विषयों पर केंद्रित रहेगी।
इस बीच, ईडी के अधिकारियों का कहना है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति या एक कंपनी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे बैंकिंग सिस्टम में हुई संभावित गड़बड़ियों को उजागर कर सकता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में दर्जनों बड़े उद्योगपतियों पर बैंकों को चूना लगाने, फंड्स डायवर्ट करने और एनपीए में फंसाने के आरोप लगे हैं।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि अनिल अंबानी से जुड़ी यह जांच न केवल उनके बिजनेस ग्रुप के लिए, बल्कि पूरे कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए एक चेतावनी है। अगर एजेंसी को इस केस में ठोस सबूत मिलते हैं, तो आगे चलकर रिलायंस ग्रुप की कई सहायक कंपनियों पर भी शिकंजा कस सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि अनिल अंबानी एक समय भारत के सबसे प्रभावशाली और चर्चित उद्योगपतियों में गिने जाते थे। लेकिन पिछले एक दशक में उनकी कई कंपनियाँ वित्तीय संकट में फंस गईं — रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, और रिलायंस पावर जैसी कंपनियों पर भारी कर्ज़ है। यही पृष्ठभूमि अब इस केस को और गंभीर बना देती है।
कानूनी जानकारों के मुताबिक, यदि ईडी यह साबित करने में सफल होती है कि फंड्स का जानबूझकर दुरुपयोग किया गया, तो अनिल अंबानी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कार्रवाई हो सकती है। ऐसे मामलों में सज़ा के साथ-साथ संपत्तियों की जब्ती तक का प्रावधान है।
फिलहाल, 14 नवंबर को अनिल अंबानी की ईडी दफ्तर में पेशी पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यह पूछताछ इस केस की दिशा और गंभीरता, दोनों तय कर सकती है। अगर अनिल अंबानी के जवाबों से जांच एजेंसी संतुष्ट नहीं हुई, तो आगे कई बड़े खुलासे और कार्रवाई देखने को मिल सकती है।
इस पूरे घटनाक्रम ने कॉर्पोरेट जगत में हलचल और सन्नाटा दोनों फैला दिया है। एक ओर कारोबारी वर्ग इसे “सिस्टमेटिक विचहंट” बता रहा है, तो दूसरी ओर आम जनता चाहती है कि हर बड़े आर्थिक अपराध की निष्पक्ष जांच हो — चाहे आरोपी कितना भी बड़ा नाम क्यों न हो।
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