ED ने Jaypee Infratech Ltd. के एमडी Manoj Gaur को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया
- byAman Prajapat
- 13 November, 2025
एक वक्त था जब “Jaypee Infratech” नाम NCR के रियल एस्टेट जगत में भरोसे का प्रतीक था। यमुना एक्सप्रेसवे से लेकर नोएडा के लग्ज़री टाउनशिप तक, इस कंपनी के प्रोजेक्ट्स में हजारों लोगों ने अपने सपनों का घर देखा था।
लेकिन अब वही नाम धोखाधड़ी, घोटाले और फर्जीवाड़े की परछाई में आ गया है। Enforcement Directorate (ED) ने Jaypee Infratech Ltd. के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौर को ₹12,000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार कर लिया है।
यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उस सिस्टम पर सवाल है जिसने वर्षों तक होमबायर्स को इंतज़ार करवाया और आखिरकार उन्हें अदालतों के चक्कर लगवाए।
🏢 कंपनी की पृष्ठभूमि और गौर परिवार की भूमिका
Jaypee Infratech, जयप्रकाश एसोसिएट्स ग्रुप की एक प्रमुख इकाई है, जिसकी स्थापना उद्योगपति जयप्रकाश गौर ने की थी। मनोज गौर उनके पुत्र हैं और लंबे समय से कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO पद पर कार्यरत हैं।
कंपनी का सबसे बड़ा दावा था — “घर समय पर, भरोसे के साथ।”
लेकिन 2013 के बाद से कंपनी पर कर्ज़ का बोझ बढ़ता गया। प्रोजेक्ट्स में देरी हुई, लोन की किश्तें नहीं चुकाईं गईं, और हज़ारों खरीदारों को कब्ज़ा नहीं मिला।
इसी बीच, जब ऑडिट हुआ तो खुलासा हुआ कि कंपनी ने होमबायर्स से लिए पैसे अन्य ग्रुप कंपनियों में डाइवर्ट (फंड ट्रांसफर) कर दिए — यही इस पूरे केस का मूल है।
⚖️ ED की कार्रवाई और कानूनी आधार
ED ने यह गिरफ्तारी Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002 के तहत की है।
जांच एजेंसी के अनुसार, Jaypee Infratech Ltd. ने होमबायर्स से अग्रिम राशि के रूप में जो धन प्राप्त किया, उसे कंपनी ने अपने निर्धारित प्रोजेक्ट्स में न लगाकर अन्य कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया।
🔍 ED की रिपोर्ट के अनुसार:
₹12,000 करोड़ से अधिक की रकम का फर्जी हस्तांतरण पाया गया।
कंपनी ने लगभग 20,000 से अधिक खरीदारों से पैसा लिया, लेकिन 10 वर्षों बाद भी अधिकांश को घर नहीं मिला।
जांच में यह भी सामने आया कि फंड्स को समूह की अन्य कंपनियों — Jaypee Cement, Jaypee Sports, Jaypee Power — में ट्रांसफर किया गया था।
कई फर्जी अकाउंट्स और प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त के माध्यम से भी धन शोधन (money laundering) किया गया।
🕵️♂️ ED की छापेमारी और बरामद सबूत
ED की टीम ने दिल्ली, नोएडा, मुंबई और ग्रेटर नोएडा में करीब 15 जगहों पर छापे मारे।
इस दौरान एजेंसी को कई डिजिटल रिकॉर्ड्स, अकाउंट बुक्स, फर्जी एग्रीमेंट्स और ईमेल्स मिले जिनसे फंड डायवर्जन की पुष्टि होती है।
सूत्रों के मुताबिक:
ED ने करीब ₹48 करोड़ की संपत्ति अटैच की है।
कई बैंक अकाउंट्स को भी फ्रीज़ किया गया है।
दस्तावेज़ों से यह भी पता चला कि कंपनी ने 2011–2016 के बीच लगभग ₹5,000 करोड़ का पैसा विभिन्न सबसिडियरी कंपनियों को “इंटर-कॉर्पोरेट लोन” के नाम पर दिया।
💔 होमबायर्स की बेबसी
इस पूरे घोटाले का सबसे दुखद पहलू — वे परिवार हैं जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी की कमाई इन प्रोजेक्ट्स में लगा दी।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे और विश्रामपुर जैसे इलाकों में Jaypee के कई हाउसिंग प्रोजेक्ट्स अधूरे पड़े हैं।
एक खरीदार ने कहा:
“हमने 2012 में घर बुक किया था। तब कहा गया था 3 साल में पजेशन मिलेगा। आज 2025 चल रहा है, घर अभी भी अधूरा है — और अब सुन रहे हैं कि हमारे पैसों से किसी और कंपनी के घाटे पूरे किए गए।”
ऐसे हजारों होमबायर्स की शिकायतें Real Estate Regulatory Authority (RERA) और National Company Law Tribunal (NCLT) में दर्ज हैं।
💼 कंपनी पर IBC प्रक्रिया और पुनर्गठन की कोशिशें
2017 में Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) के तहत Jaypee Infratech को दिवालिया घोषित किया गया।
NCLT ने कंपनी को रिसॉल्यूशन प्रोसेस में भेजा, और बाद में Suraksha Group को इसके पुनर्गठन की मंज़ूरी दी गई।
हालांकि, पुनर्गठन के बाद भी कई प्रोजेक्ट्स में देरी जारी है, और खरीदारों को उनका अधिकार नहीं मिल सका।
अब ED की गिरफ्तारी के बाद यह मामला और जटिल हो गया है।
💣 ₹12,000 करोड़ की रकम कहाँ गई?
ED की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि Jaypee Infratech ने होमबायर्स और बैंकों से प्राप्त फंड्स को निम्न तरीकों से उपयोग किया:
ग्रुप कंपनियों को लोन के रूप में भेजा गया।
स्पोर्ट्स सिटी और गोल्फ कोर्स प्रोजेक्ट्स में निवेश किया गया।
Jaypee Power Ventures और Jaypee Cement में पैसे ट्रांसफर किए गए।
कुछ फंड्स का इस्तेमाल विदेशी संपत्तियों में निवेश के रूप में किया गया।
कई फर्जी कंसल्टेंसी फीस और इनवॉयस के ज़रिए पैसा निकाला गया।

🔒 मनोज गौर की गिरफ्तारी पर ED का बयान
ED के प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा —
“Jaypee Infratech Ltd. के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौर को मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर अपराध में गिरफ्तार किया गया है।
हमारे पास पर्याप्त साक्ष्य हैं कि उन्होंने होमबायर्स के धन का दुरुपयोग किया और उसे अन्य कंपनियों में स्थानांतरित किया।”
अब मनोज गौर को दिल्ली की विशेष PMLA अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें ED की रिमांड पर भेजा गया है।
📉 रियल एस्टेट सेक्टर पर असर
इस गिरफ्तारी ने पूरे रियल एस्टेट उद्योग को हिला दिया है।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कई प्रोजेक्ट्स अब जांच के घेरे में हैं।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भविष्य में डेवलपर्स को अधिक जवाबदेह बनाएगा।
Confederation of Real Estate Developers (CREDAI) ने कहा —
“यह घटना डेवलपर्स के लिए चेतावनी है कि पारदर्शिता और जिम्मेदारी से काम करना ही अब जीवित रहने का एकमात्र रास्ता है।”
💬 जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ दिखा। ट्विटर (अब X) पर #JaypeeScam और #ManojGaur ट्रेंड कर रहे हैं।
कई होमबायर्स ने अपनी पीड़ा साझा की —
“घर नहीं मिला, EMI अब भी भर रहे हैं, और अब पता चला कि हमारा पैसा स्कैम में गया।”
लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार और NCLT मिलकर खरीदारों को जल्द न्याय दिलाए।
🌍 आर्थिक और सामाजिक असर
NCR की रियल एस्टेट विश्वसनीयता को बड़ा झटका।
बैंकों और NBFCs को भी भारी नुकसान की आशंका।
लाखों लोगों का निवेश खतरे में।
देशभर में प्रोजेक्ट-रेगुलेशन और होमबायर्स प्रोटेक्शन की नई बहस।
🧭 आगे की राह
ED अब केस की अगली लेयर खोल रही है —
कौन-कौन से अधिकारी शामिल थे, कौन से बैंक ट्रांज़ैक्शन संदिग्ध हैं, और क्या अन्य समूह कंपनियों पर भी कार्रवाई होगी।
संभावना है कि आने वाले महीनों में Jaypee Group के अन्य शीर्ष अधिकारियों को भी तलब किया जाएगा।
साथ ही, केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होमबायर्स को राहत देने की नई प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
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