दिल्लीवालों से इस साल लगभग 1,000 करोड़ की साइबर ठगी: तीन प्रमुख तरीकों का पर्दाफाश
- byAman Prajapat
- 18 October, 2025

दिल्ली, हमारे देश की राजधानी, जहाँ लोग अपने जीवन-सपनों को पालते हैं, वहां आज एक छिपा हुआ खतरा भारी तेजी से बढ़ रहा है — साइबर ठगी। इस वर्ष में साइबर अपराधियों ने दिल्लीवासियों को जमकर निशाना बनाया है और लगभग ₹1,000 करोड़ की ठगी की खबर सामने आई है।
यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है — यह हमारी डिजिटल सुरक्षा में एक बड़ी दरार है, जिसपर हमें पूरे आत्म-विश्वास और सजगता के साथ गौर करना होगा।
ठगी के तीन प्रमुख तरीके
पुलिस की प्रारंभिक जाँच से यह सामने आया है कि इस मामले में तीन प्रकार की ठगी सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुई हैं।
आइए प्रत्येक पर गहराई से नजर डालें।
1. निवेश फ्रॉड (Investment Scam)
यह तरीका बहुत चालाक है — अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स या मैसेजिंग एप्स के माध्यम से लोगों को आकर्षक रिटर्न का लालच देते हैं। उन्होंने अक्सर एक महिला या अन्य भरोसेमंद व्यक्ति का प्रोफ़ाइल बनाकर, “थोड़ी-सी रकम लगाइए, बहुत फायदा होगा” करने के झांसे में डालते हैं।
प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है:
एक व्यक्ति सोशल मीडिया पर “उच्च रिटर्न इन्वेस्टमेंट” का विज्ञापन देखता है।
उसे एक व्हाट्सएप ग्रुप या चैट में शामिल किया जाता है, जहाँ छोटे-छोटे निवेश करके “प्रॉफिट” दिखाया जाता है।
जैसे-जैसे भरोसा बढ़ता है, वह बड़ी रकम निवेश करने के लिए कहता है।
अंततः, जब वो पैसा निकालने की कोशिश करता है, तो उसे व्यर्थ खर्च/सेवा शुल्क आदि के नाम पर पैसे और डालने को कहा जाता है, या लिंक/ऐप द्वारा फँसाया जाता है।
यह तरीका बहुत लोकप्रिय है क्योंकि लोगों के “थोड़ा बहुत पैसा कमाने” की चाहत पर आँख मूँदकर भरोसा किया जाता है।
2. डिजिटल गिरफ्तारी स्कैम (Digital Arrest Scam)
यह तरीका डर-डरावना है। अपराधी खुद को पुलिस, CBI या अन्य एजेंसियों का अधिकारी बताकर शिकार को फंसाते हैं।
प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है:
एक व्यक्ति को कॉल आता है — “आपके बैंक खाते/प्रष्ठ का संबंध आतंकवाद/मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ पाया गया है।”
उन्हें डराया जाता है, कि यदि तुरंत पैसा या “सुरक्षा जमा” नहीं किया गया तो गिरफ्तारी/कार्रवाई होगी।
इस बीच उन्हें फर्जी दस्तावेज, वीडियो कॉल, आधिकारिक दिखने वाले नंबर दिखाए जाते हैं।
फिर उन्हें पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता है।
यह ठगी उस भय-प्रेरणा (fear-based) मॉडल पर काम करती है जो लोगों को शांत सोचने का मौका नहीं देती।
3. ‘बॉस स्कैम’ (Boss Scam)
यह तरीका कंपनियों और उनके कर्मचारियों में लोकप्रिय हो रहा है। अपराधी खुद को कंपनी का अधिकारी/बॉस बता-कर, वित्तीय विभाग के कर्मचारियों को धोखे में डालते हैं।
प्रक्रिया इस तरह होती है:
एक कर्मचारी को मैसेज आता है कि “ये आप मेरी टीम/बॉस हैं, तुरंत इस खाते में फंड ट्रांसफर करो” या “गिफ्ट कार्ड का कोड भेजो”।
वह व्यक्ति सोचता है कि यह अपने बॉस या उच्च अधिकारी का अनुरोध है — इसलिए बिना जांच किए पैसे ट्रांसफर कर देता है।
बाद में पता चलता है कि यह पूरी तरह फेक था, और पैसे गायब हो चुके हैं।
यह विशेष रूप से खतरनाक है क्योंकि इसमें भरोसा और संगठन की आन्तरिक व्यवस्था का दोहन किया जाता है।
ठगी का पैमाना और प्रभाव
दिल्ली पुलिस की जानकारी के अनुसार, इन तीन तरीकों ने इस वर्ष लगभग ₹1,000 करोड़ की ठगी को जन्म दिया है।
अच्छी बात यह है कि पुलिस-बैंक मिलकर अब “होल्ड” (लीन-मार्क) करने की प्रक्रिया तेज कर रहे हैं — जितना पैसा बैंकिंग सिस्टम में ट्रैक हो रहा है, उसे रोका जा रहा है। उदाहरण के लिए, 2024 में करीब 10% राशि होल्ड की गई थी, जबकि 2025 में यह लगभग 20% पहुँच गई है।
लेकिन समस्या यह है कि 80 % से अधिक राशि अभी भी शिकारों को वापस नहीं मिली है — यानी इस साल हम बहुत बड़े आर्थिक व मानसिक नुकसान का सामना कर चुके हैं।
डिजिटल युग में पारंपरिक चेतावनियाँ
हां, हम आधुनिक युग में हैं — लेकिन यह भी सच है कि “पुराना जमाना” जहाँ हमें सतर्क रहने की सीख मिली थी, वही आज भी काम आती है। इंटरनेट पर भरोसा बढ़ा है, लेकिन धोखाधड़ी की तरकीबें और भी परिष्कृत हो चुकी हैं।
यहां कुछ बातें हैं जिन्हें हमें हमेशा याद रखना चाहिए:
कभी भी अजनबी लिंक पर क्लिक मत करो — खासकर यदि वो “तुरंत पैसा कमाओ” या “अद्भुत लाभ” का वादा करता हो।
यदि कोई आपको कॉल/मैसेज कर रहा है कि आप एजेंसी द्वारा पकड़े गए हैं — ठहरो, नहीं डरना है। पहले अपने बैंक से कॉल करो, अधिकारियों से संपर्क करो।
अपनी कंपनी में अगर “बॉस स्कैम” जैसा संदेश आया है-- पक्का कर लो कि वह वास्तव में बॉस ने भेजा है। फोन करके पूछो।
किसी भी निवेश योजना में शामिल होने से पहले खुद अपनी रिसर्च करो — निवेश राशि, कंपनी विवरण, रिटर्न की विश्वसनीयता सब जांचो।
यदि आपने ठगी के शिकार हो गए हो — समय बर्बाद मत करो, तुरंत हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत कर सकते हो।
पुलिस व बैंक की कार्रवाई
दिल्ली पुलिस साइबर सेल, बैंकिंग संस्थान और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने हेल्पलाइन, 24×7 पोर्टल, बैंकिंग धारा में लीविंग (lien marking) की प्रक्रिया तेज की है।
उसके अतिरिक्त, बैंक खाते मॉनिटर हो रहे हैं, संदिग्ध ट्रांज़ैक्शन पर होल्ड लग रही है, और साइबर जागरूकता बढ़ाई जा रही है।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि किस ठगी में कितनी राशि मिली है, लेकिन यह था कि काम तेजी से हो रहा है — बेशक, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

क्यों बढ़ रही है ये ठगी?
पहली वजह: डिजिटल लेन-देनों का बड़ा विस्तार। लोग ऑनलाइन बैंकिंग, वॉलेट, ट्रैडिंग एप्स पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।
दूसरी वजह: अपराधियों की तकनीकी क्षमता बढ़ी है — वे सोशल इंजीनियरिंग, फेक ऐप, मल्टीपल बैंक खातों, म्यूल एकाउंट्स, स्मार्टफोन हैकिंग आदि का उपयोग कर रहे हैं।
तीसरी वजह: लोगों की जल्दबाजी — “तेजी से पैसा कमाने” की चाह, बिना जांच-परख के निवेश करना।
चौथी वजह: डर-प्रेरणा (fear-based) मॉडल — जैसे डिजिटल गिरफ्तार होने का डर, जिससे लोग तुरंत पैसा भेज देते हैं।
आम लोगों के लिए सुझाव
यदि किसी ने आपसे “जल्दी पैसा लगाओ, फायदा मिलेगा” कहा है — तुरंत लाल झंडी मानो।
किसी कॉल/मैसेज में अगर कहा गया कि “आपको गिरफ्तार होने वाला है, तुरंत पैसा भेजो” — ऐसे कॉल्स दरअसल 90-95% फ्रॉड होते हैं।
कंपनियों में फाइनेंस टीम में काम करने वालों को विशेष सतर्क रहना चाहिए — हमेशा ऑफिशियल चैनल से पुष्टि करें।
अपने बैंक खाते, ऐप्स और कार्ड की गतिविधि नियमित रूप से मॉनिटर करें — किसी भी अनजान ट्रांज़ैक्शन पर तुरंत बैंक को बताएं।
साइबर हेल्पलाइन (1930) या नजदीकी साइबर सेल से संपर्क करें यदि कोई शक हो।
निष्कर्ष
इस डिजिटल युग में, हम जिस तरह से स्मार्टफोन, इंटरनेट और ऑनलाइन लेन-देनों से आजाद हो रहे हैं, उसी तरह हमें अपने स्मार्ट होने की भी जिम्मेदारी लेनी होगी। दिल्ली में इस साल हुई लगभग ₹1,000 करोड़ की ठगी सिर्फ एक संख्या नहीं है — यह चेतावनी है, कि हम सचेत नहीं रहे तो किस्मत ही नहीं, हमारी मेहनत भी चोरी हो सकती है।
हमें पुरानी बातें याद रखनी हैं — जैसे “जितना आसान लगे, उतना संभवत: धोखा।” और “हमें भरोसा पहले करना है, बाद में भरोसा टूटना आसान है।”
तो चलिए — हमें सजग रहना है, एक-दूसरे को भी जागरूक करना है, और इस साइबर जालसाजी को अब रोका जाना है।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
राजस्थान में अपराधों...
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