दिल्ली ब्लास्ट केस में बड़ी साज़िश का खुलासा: डॉ. मुज़म्मिल ने शब्बीर के घर छिपाए थे मेल्टिंग फर्नेस व ग्राइंडर
- byAman Prajapat
- 21 November, 2025
10 नवंबर 2025 की शाम दिल्ली की सांध्य हवा में एक सन्नाटा टूट पड़ा, जब लाल किले के पास एक कार विस्फोट हुआ। यह धमाका न केवल राजधानी के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए झटका था — उस हमले की गूढ़ गूंज अब तक सुनी नहीं गयी थी। जांच एजेंसियों के हाथों अब एक और चौंकाने वाला खुलासा लगा है, जो साजिश की गहराई और इसके मास्टरमाइंड की भूमिका को और भी संदिग्ध बनाता है।
वहीं इस बीच, एक बड़ी खबर ने सुर्खियाँ बटोरी है: डॉ. मुज़म्मिल — जिसे जांच में मुख्य आरोपी माना जा रहा है — ने शब्बीर नामक व्यक्ति के घर संदिग्ध उपकरण छिपाकर रखवाए थे। ये उपकरण अमूमन घरेलू मशीनों की तरह दिखते हैं, लेकिन जांच के ब्योरे में ये बेहद खतरनाक माने जा रहे हैं।
क्या मिला है शब्बीर के घर?
एजेंसियों ने फरीदाबाद में शब्बीर के घर से दो बड़ी मशीनें जब्त की हैं: एक ग्राइंडर (Grinder) और एक मेल्टिंग फर्नेस (Melting Furnace)। यह जानकारी सबसे पहले AajTak ने प्रकाशित की।
– ग्राइंडर: जांच सूत्रों के मुताबिक, यह उपकरण अमोनियम नाइट्रेट जैसे रसायन को बारीक पीसने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था — जो विस्फोटक निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है।
– मेल्टिंग फर्नेस: यह वह मशीन है जिसमें मेटल कंपोनेंट्स पिघलाए जा सकते हैं — आतंकियों के लिए रिमोट कंट्रोल, टाइमर या इलेक्ट्रॉनिक सर्किट आदि बनाने की संभावना को बढ़ाती है। जांच एजेंसियों को शक है कि इसे किसी प्रकार के विस्फोटक या बम बनाने की तैयारी में इस्तेमाल किया गया हो सकता है।
मुज़म्मिल – शब्बीर संबंध की तहें
जांच के दौरान यह सामने आया है कि यह सब जुड़ा हुआ है उस पुराने रिश्ते से, जो डॉ. मुज़म्मिल और शब्बीर के बीच था। सूत्रों का कहना है कि मुज़म्मिल ने शब्बीर को यह कहकर मशीनें रखने को दी थीं कि ये उसकी बहन के लिए हैं — “बहन की शादी है, तुम थोड़े समय के लिए संभाल लेना।”
शब्बीर और मुज़म्मिल के बीच यह रिश्ता सिर्फ पारिवारिक या व्यक्तिगत नहीं रहा; जांच एजेंसियाँ यह देख रही हैं कि उसे आतंकवादी लॉजिस्टिक्स में एक कोवाहक के रूप में इस्तेमाल किया गया हो।
मशीनें किस लिए इस्तेमाल की जा सकती थीं?
जांचकर्ता मानते हैं कि इन साधारण दिखने वाली मशीनों में गहरे इरादे छिपे थे। कुछ सम्भावित उपयोग इस प्रकार हैं:
विस्फोटक तैयारी: अमोनियम नाइट्रेट जैसे रसायन को पीसकर तैयार करना, ताकि उसे विस्फोटक सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण: मेल्टिंग फर्नेस में धातुओं को पिघलाकर टाइमर, रिमोट कंट्रोल, बम ट्रिगरिंग इकाइयाँ बनाने की संभावना।
साजिश का लॉजिस्टिक स्टोरेज: मशीनों को छिपाने का बहाना बनाकर, विस्फोटक सामग्री या साजिश का अन्य हिस्सा शब्बीर के घर में छुपाना।
जांच एजेंसियों का कहना है कि यह उपकरण किसी साधारण घरेलू उपयोग के लिए न होकर आतंकवादी गतिविधियों के लिए बहुत ज़्यादा “तकनीकी” और “विशिष्ट” थे।
पार्श्वभूमि: मुज़म्मिल और आतंक मॉड्यूल
यह पहली बार नहीं है कि डॉ. मुज़म्मिल का नाम संदिग्ध साजिशों में सामने आया है। उन्होंने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ी एक लैब बनाई थी — यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से लगभग 500 मीटर की दूरी पर। वहाँ, कहा जाता है, वह और अन्य डॉक्टर (जैसे डॉ. उमर) यूट्यूब व ऑनलाइन मैटेरियल की मदद से बम बनाने की तकनीक सीखते थे।
उसी वक़्त, एजेंसियों ने उनके ठिकानों पर भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की है — जैसे अमोनियम नाइट्रेट, टाइमर, रिमोट, इलेक्ट्रिक वायरिंग आदि।

जासूसी और डिजिटल कनेक्शन
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि मुज़म्मिल और अन्य डॉक्टरों का एक सिग्नल ऐप पर सीक्रेट ग्रुप था, जिसमें विस्फोटक की खरीद, सामग्री स्टॉकिंग और लॉजिस्टिक्स की चर्चाएँ होती थीं।
इसके अलावा, पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर्स के वीडियो भेजे गए — बम बनाने के प्रशिक्षण के लिए।
डॉ. उमर नबी (जिस पर कार बम धमाके का आरोप है) और डॉ. मुज़म्मिल ने तुर्की में जैश के नेताओं से मुलाकात की थी, जो नेटवर्क की अंतरराष्ट्रीय साजिश को दर्शाता है।
पारिवारिक पक्ष और सफाई
डॉ. मुज़म्मिल के परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन पर रहस्यवादी आरोप लगाए गए हैं। उनकी माँ ने प्रेस से कहा है कि उन्हें उनके बेटे की गतिविधि की कोई जानकारी नहीं थी और वे उसकी रिहाई की मांग कर रही हैं।
गांव और छिपे ठिकानों की गुत्थी
पैट्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, मुज़म्मिल ने फ़रीदाबाद के धौज इलाके में एक खंडहर जैसी दिखने वाली बिल्डिंग किराए पर ली थी। वहाँ उन्होंने एक “लेब” तैयार की थी। जांच टीम वहाँ से 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद कर चुकी है।
यह घर अंदर से भले ही साधारण लगते हो, लेकिन अंदर का प्लान खतरे का था — विस्फोटक सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, टाइमर्स और अन्य उपकरणों का जाल बुन था जो मास्टरमाइंड की बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है।
नतीजा और आगे की राह
शब्बीर को हिरासत में लिया गया है और पूछताछ जारी है।
उन मशीनों की फॉरेंसिक और तकनीकी जाँच की जा रही है, ताकि यह तय किया जा सके कि उनका इस्तेमाल किस तरह और किस उद्देश्य के लिए हुआ।
जांच एजेंसियाँ इस मॉड्यूल को जैश-ए-मोहम्मद के बड़े नेटवर्क से जोड़ने की कोशिश कर रही हैं, ताकि यह पता चल सके कि यह साजिश सिर्फ एक लोकल प्लॉट थी या अंतर्राष्ट्रीय स्तर की लगी हुई साजिश।
इसके साथ ही, राजनीतिक और सुरक्षा नीतिगत लिहाज से यह मामला देश के आतंकवाद-विरोधी ढांचे में गंभीर सवाल खड़े करता है — खासकर “व्हाइट कॉलर टेरर” की अवधारणा पर।
निष्कर्ष
यह खुलासा सिर्फ एक मशीन की कहानी नहीं है — यह एक बड़े आतंकी ताने-बाने का हिस्सा हो सकता है। डॉ. मुज़म्मिल और शब्बीर के बीच छिपे रिश्ते, उपकरणों का छिपाकर स्टोर करना और जैश नेटवर्क से कनेक्शन यह दिखाते हैं कि यह साजिश सिर्फ व्यक्तिगत न होकर बहुत योजनाबद्ध और संरचित थी। जांच अब और गहराई में जाती दिख रही है, और देश की सुरक्षा एजेंसियाँ इस मॉड्यूल को पूरी तरह उजागर करने की कोशिश में हैं।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
राजस्थान में अपराधों...
Related Post
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.


_1763632914.jpg)






_1764510754.jpg)