भारत की चार दिग्गज आईटी कंपनियाँ मिलकर तैनात करेंगी दो लाख से अधिक माइक्रोसॉफ्ट कोपायलट लाइसेंस: सत्य नडेला का बड़ा बयान
- byAman Prajapat
- 11 December, 2025
भारत की धरती हमेशा से तकनीकी नवाचारों की जन्मभूमि रही है। यहाँ की आईटी कंपनियाँ दशकों से दुनिया के डिजिटल ढांचे को संभालती आई हैं। और अब इसी परंपरा के बीच एक और ऐतिहासिक पल सामने आया है, जब माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्य नडेला ने गर्व के साथ मंच से यह बड़ा ऐलान किया कि भारत की चार दिग्गज कंपनियाँ—कॉग्निज़ेंट, इन्फोसिस, टीसीएस और विप्रो—मिलकर दो लाख से अधिक माइक्रोसॉफ्ट कोपायलट लाइसेंस तैनात करने जा रही हैं।
यह घोषणा कोई साधारण घटना नहीं है; यह उस तेज़ी से बदलते दौर का इशारा है जहाँ कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमारी रोज़मर्रा की कार्य संस्कृति का हिस्सा बन रही है। और जब इतने बड़े पैमाने पर अपनाने की बात हो, तो इसका प्रभाव सिर्फ कंपनियों पर नहीं, बल्कि भारत की करोड़ों की कार्यशील आबादी पर भी पड़ता है।
माइक्रोसॉफ्ट का कोपायलट एक ऐसा बुद्धिमान सहायक है जो कर्मचारियों के काम को समझकर उन्हें तेज़, सटीक और रचनात्मक ढंग से काम करने में मदद करता है। यह केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि आधुनिक कार्यस्थल का नया साथी है—ऐसा साथी जो कभी थकता नहीं, कभी भूलता नहीं और हमेशा मदद करने को तैयार रहता है।
कॉग्निज़ेंट, जो पहले से ही वैश्विक ग्राहकों के साथ बड़े प्रोजेक्ट संभालती है, उसने निर्णय लिया है कि वह अपने कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करेगी। कल्पना करो—हज़ारों कर्मचारियों की रोज़मर्रा की फाइलें, रिपोर्टें, विश्लेषण और कोडिंग के काम अब कोपायलट की मदद से पहले से कई गुना तेज़ होंगे।
इन्फोसिस, जो भारतीय आईटी उद्योग का एक प्रमुख स्तंभ है, उसने इस तकनीक को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी शामिल करने की योजना बनाई है। कंपनी चाहती है कि उसका प्रत्येक कर्मचारी एआई के इस नए युग में पीछे न रह जाए। इन्फोसिस का मानना है कि आने वाले समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता न केवल सहायक होगी, बल्कि भविष्य के कार्य ढांचे का मूल हिस्सा बनेगी।
टीसीएस की बात करें, तो यह नाम अकेले ही दुनिया की किसी भी कंपनी को चुनौती देने की क्षमता रखता है। टीसीएस ने अपने लाखों कर्मचारियों के लिए एक आंतरिक रणनीति तैयार की है, जिसके तहत कोपायलट को हर टीम के काम में शामिल किया जाएगा—चाहे वह बैंकिंग हो, स्वास्थ्य सेवा हो, विनिर्माण हो, या दूरसंचार। टीसीएस के अनुसार, कोपायलट के आने से कुल कार्य समय में भारी कमी आएगी और गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
विप्रो, जो दुनिया भर में डिजिटल परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है, उसने इस तकनीक को अपने विकास परियोजनाओं में लागू करना शुरू कर दिया है। विप्रो चाहती है कि उसके प्रोजेक्ट न केवल तेज़ी से पूरे हों, बल्कि उनमें उच्च स्तर की रचनात्मकता और शुद्धता भी झलके।
सत्य नडेला ने इस घोषणा के दौरान साफ शब्दों में कहा कि “भारत एआई क्रांति का केंद्र बनने की राह पर है।” उनके शब्दों में वह आत्मविश्वास झलक रहा था, जो उन्होंने भारतीय इंजीनियरों और डेवलपर्स में वर्षों से देखा है। नडेला जानते हैं कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है—बस उसे सही साधन मिल जाएँ तो दुनिया का तकनीकी भविष्य भारत ही लिख सकता है।

कोपायलट की तैनाती का असर सिर्फ इन कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा। भारतीय स्टार्टअप्स, छोटी आईटी कंपनियाँ और शिक्षा संस्थान भी इससे प्रेरित होंगे। आने वाला समय वह होगा जब भारत का हर पेशेवर एआई के साथ काम करना सीखेगा।
इसके अलावा, कंपनियों को अब अपने कर्मचारियों के लिए नए कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करने होंगे। क्योंकि एआई के साथ काम करना नया कौशल है—और जो इसे जल्दी सीख लेगा, वही आने वाले दौर में तेज़ी से आगे निकलेगा।
यह तैनाती यह भी दिखाती है कि दुनिया में भारत की तकनीकी साख कितनी मजबूत हो चुकी है। माइक्रोसॉफ्ट जैसे वैश्विक दिग्गज भारत को केवल एक बाजार के रूप में नहीं देखते, बल्कि एक साझेदार, एक नवाचार विधाता और भविष्य के तकनीकी नेतृत्व के रूप में देखते हैं।
यह बदलाव एक नई शुरुआत है।
एक नए युग का द्वार खोल चुका है—जहाँ मनुष्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता साथ-साथ कदम मिलाकर काम करेंगे, जहाँ थकान कम होगी, रचनात्मकता बढ़ेगी और उत्पादकता अपने चरम पर होगी।
भारत की आईटी दुनिया अब सिर्फ दुनिया के लिए सेवाएँ बनाने वाली शक्ति नहीं रही—यह दुनिया के तकनीकी भविष्य को दिशा देने वाली शक्ति बन चुकी है।
और इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत दो लाख कोपायलट लाइसेंस की तैनाती से हो रही है।
यह तो केवल पहला कदम है।
आने वाला समय इससे कहीं अधिक बड़ा, चमकीला और परिवर्तनकारी होगा।
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जयपुर मे सोने और चां...
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