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“डॉक्टर बनना नहीं चाहता था, MBBS में दाखिले से एक दिन पहले छात्र ने की आत्महत्या”

“डॉक्टर बनना नहीं चाहता था, MBBS में दाखिले से एक दिन पहले छात्र ने की आत्महत्या”

चंद्रपुर, महाराष्ट्र — एक दुखद घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है: 19 वर्षीय अनुराग अनिल बोरकर नामक छात्र ने बुधवार की सुबह (या रात) अपने आवास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, जहाँ से वह अगली सुबह MBBS कॉलेज में दाखिले के लिए यात्रा करने वाला था।

अनुराग ने NEET (नीट UG) परीक्षा पास की थी, और उसे All India Rank 1475 (OBC कोटे के अंतर्गत) प्राप्त था।उन्हें गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल चुका था। 

लेकिन उसी रात उसने अंतिम कदम उठाया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की है और घटना स्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है। हालांकि, नोट में सभी अंश सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। अधिकारी कह रहे हैं कि अनुराग ने लिखा था कि वह डॉक्टर बनना नहीं चाहता।

उसके घर, सिंदेवाही तालुका, नवरा गाँव में रहने वाले परिजनों ने इस घटना को सुनकर सदमे में हैं। उन्हें अंदेशा है कि अनुराग पर दबाव अधिक था — सामाजिक, पारिवारिक, अकादमिक — और शायद वे उसकी इच्छाओं की अनदेखी करते रहे। 

यह घटना यह प्रश्न खड़ा करती है कि हम कितनी बार युवाओं की इच्छा और स्वायत्तता को अनसुना कर देते हैं। NEET और MBBS जैसी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में सफलता यदि अनिवार्य रूप से व्यक्ति की चाह पर आधारित न हो, तो मानसिक स्वास्थ्य पर इसका दबाव कम होना चाहिए। 

99.99 Percentile In NEET But Didn't Want To Be Doctor. Teen Dies By Suicide

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि अत्यधिक अपेक्षाएँ, करियर दबाव, सामाजिक प्रतिष्ठा और “गलत” विकल्प न होने का डर युवाओं में तनाव, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ा देते हैं। ऐसी घटनाएँ हमें चेतावनी देती हैं कि शिक्षा व्यवस्था, परिवार और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि युवा अपनी रुचि और शक्ति के अनुसार करियर चुन सकें।

इस घटना से प्रेरित होकर, कई छात्र अधिकार समूह, मानसिक स्वास्थ्य संगठनों, और शिक्षा विभाग ने यह मांग उठाई है कि:

कौन्सलिंग और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन हर कॉलेज, स्कूल और कोचिंग संस्थान में अनिवार्य किया जाए।

पारिवारिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण बदलें — “डॉक्टर बनना ही श्रेष्ठ” जैसा पूर्वाग्रह दूर हों।

छात्रों की इच्छाओं की इज्जत हो — यदि वे किसी और क्षेत्र में जाना चाहते हों तो उन्हें दबाव न बनाया जाए।

नीति एवं सुरक्षा तंत्र बनाए जाएँ, ताकि आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए त्वरित हस्तक्षेप संभव हो सके।

इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर यह याद दिलाया कि एक दिन पहले की खुशी, सफलता की खुशी — वो सब बेकार हो सकती है यदि हमारी समझ, संवेदनशीलता और समर्थन न हो।


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