स्मोकिंग या शराब से भी ज़्यादा जानलेवा हो सकती है यह रोज़मर्रा की एक आदत, बताते हैं मुंबई के ऑर्थो सर्जन
- byAman Prajapat
- 27 November, 2025
हम सब जानते हैं कि धूम्रपान (स्मोकिंग) और शराब (ड्रिंकिंग) सेहत के लिए कितनी घात कहीं हो सकती है। मगर वहीं एक ऐसी “आदत/स्थिति” है — जिसे हम अक्सर हल्के में लेते हैं — कि जो, अगर लगातार बनी रहे, तो आपकी जिंदगी के लिए धूम्रपान या शराब से भी ज़्यादा ख़तरा बन सकती है।
🔹 कौन है यह चेतावनी देने वाले — और क्या कहा उन्होंने
Dr Manan Vora, एक मुंबई-आधारित ऑर्थोपेडिक सर्जन और सेहत (health) ट्रेनर हैं। उन्होंने हाल ही में मीडिया से कहा कि —
“Alcohol and cigarettes will not kill you. What will kill you is stress.”
उनका कहना है कि अक्सर हम धूम्रपान और शराब जैसे “दिखने वाले” खतरों पर फोकस करते हैं — लेकिन असल ख़तरा है रोज़मर्रा के तनाव (stress), अनिद्रा (नींद की कमी), और शरीर पर उसके असर से।
स्टडी या विस्तृत क्लिनिकल डेटा नहीं दिया गया है — ये चेतावनी उन्हीं उनके अनुभवी अवलोकन और व्यायाम, जोड़-हड्डी, मांसपेशियों आदि पर देखने वाले प्रभावों पर आधारित है।
🔹 तनाव (Stress) — यह इतना खतरनाक क्यों
तनाव सिर्फ “दिमाग़” की समस्या नहीं है — यह पूरे शरीर पर असर करता है। डॉ. वोर่า कहते हैं कि जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर में हार्मोन जैसे क्लोर्तिसोल (cortisol) और एड्रेनलिन (adrenaline) रिलीज होते हैं।
इस वजह से मांसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं, कंधे, गर्दन, पीठ में खिंचाव, ब्लड प्रेशर, हृदय — सब प्रभावित हो सकते हैं।
“छोटी-छोटी” शिकायतें — जैसे सिरदर्द, कमर या गर्दन का खिंचाव, मांसपेशियों में जकड़न — अगर लगातार रहे, तो धीरे-धीरे बड़ी बीमारियाँ बन सकती हैं।
🔹 नींद (Sleep) — तनाव से लड़ने की सबसे बड़ी डिफेंस
डॉ. वोर्रा ने जोर दिया कि अगर आप रोज़ 7–8 घंटे गहरी, आरामदायक नींद (restorative sleep) नहीं लेते, तो तनाव का बोझ बढ़ता जाता है।
नींद के दौरान ही शरीर का “रीसेट” होता है — मांसपेशियाँ रिलैक्स होती हैं, ऊतक (tissues) मरम्मत होते हैं, हार्मोन बैलेंस होता है।
लेकिन जब नींद नहीं होती — या अधूरी होती है — तो हमारा शरीर कल का तनाव, आज का नया तनाव और नींद की कमी — तीनों एक साथ लेकर चलने लगता है। इस तरह असर धीरे-धीरे गहराता जाता है।
इसलिए, सिर्फ “थोड़ी परेशानी हो रही है” समझकर अनदेखा करना — वो आपकी जान तक ले सकता है, जैसा कि डॉ. वोर्रा बताता है।

🔹 हड्डियाँ, जोड़ और मांसपेशियाँ — कैसे प्रभावित होती हैं
चूँकि डॉ. वोर्रा ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं, उन्होंने ज़्यादा ध्यान हड्डियों, जोड़-जोड़ों और मांसपेशियों पर दिया है। उनके अनुसार —
लगातार तनाव और नींद की कमी मांसपेशियों की ताकत और जोड़ों की लचीलापन कम कर देती है।
इससे कमर, गर्दन, कंधा, पीठ जैसी जगहों पर दर्द, अकड़न, दिक्कतें हो सकती हैं।
अगर लंबे समय तक शरीर रिलैक्स ना हो, मांसपेशियाँ नहीं मिटतीं, तो काफी हड्डी-संबंधित (bone-related) परेशानी हो सकती है — जो सिर्फ उम्रदराज लोगों तक सीमित नहीं, युवा भी इसका शिकार हो सकते हैं।
इस तरह, जो लोग सोचते हैं कि वे “नशा नहीं करते, वो सुरक्षित हैं” — वो ये समझें कि “नशा नहीं” होना ही पूरी सुरक्षा नहीं है; तनाव और नींद की अनदेखी भी बहुत बड़ा दुश्मन है।
🔹 हमारा यंग-जनरेशन, दबाव और जीवनशैली — समस्या दो गुनी
भाई, आज की ज़िंदगी — पढ़ाई-काम, नौकरी, सोशल मीडिया, प्रतियोगिता — सब मिलकर एक ऐसा ताना-बाना बना देते हैं, जिसमें तनाव और अनिद्रा आम बात हो चली है।
हम में से कई नींद पूरी नहीं करते,
कई बार तनाव को हल्के में लेते हैं या “थोड़ा है तो क्या हुआ” समझते हैं,
फटाफट काम, मोबाइल, सोशल मीडिया, रात जागना — सब ऐसे फैसिलिटिज़ हैं जो हमारे शरीर को खा जाती हैं।
डॉ. वोर्रा की चेतावनी इस पुराने समय की तरह है — “पहले सेहत संभालो, ताकि उम्र बढ़ने पर पछतावा न करना पड़े।”
अगर तुम अपना ख्याल नहीं रखोगे, ये “आदतन की छोटी-छोटी लापरवाहियाँ” धीरे-धीरे तुम्हारे हड्डियाँ, मांसपेशियाँ, दिल, दिमाग — सब पर भारी पड़ सकती हैं।
🔹 क्या करें — कैसे बचें इस गुप्त दुश्मन से
अगर तुम चाहते हो कि जिंदगी लंबी, स्वस्थ, ताकतवर रहे — तो बस इतना करो:
रोज़ाना 7–8 घंटे गहरी नींद सुनिश्चित करो।
तनाव को “मैं झेल लूंगा” की तरह मत लो — बातचीत, व्यायाम, योग, मेडिटेशन या अपने दोस्त-परिवार से बात करके तनाव निकालो।
मांसपेशियों और जोड़-जोड़ों की सेहत के लिए हल्की एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग करो।
अपने दैनिक हलचल, काम, पढ़ाई के बीच ब्रेक लो — ताकि शरीर और दिमाग दोनों को आराम मिले।
अगर लगता है कि तनाव बढ़ रहा है — सिरदर्द, अकड़न, नींद न आने, चिड़चिड़ापन — तो इसे हल्के में मत लेना, ध्यान दो।
✨ निष्कर्ष
दुनिया में धूम्रपान और शराब जैसी चीज़ों को लेकर डर ज़रूरी है — बिल्कुल। मगर उससे भी ज़रूरी है — अपनी रोज़मर्रा की आदतों, तनाव, नींद पर ध्यान देना।
जैसे पुराने जमाने में कहा जाता था — “अपना ख्याल रखो, वरना बढ़ती उम्र पछतावा ले आएगी” — आज वो बात इसलिए फिर से सच होती दिख रही है।
अगर तुम अभी से सोचना शुरू करोगे — अपनी आदतों और दिनचर्या को सुधारोगे — तो न सिर्फ आज बेहतर रहोगे, बल्कि भविष्य में भी सेहत और जोश के साथ खड़े रहोगे।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
देखिए सुष्मिता सेन...
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