तेलंगाना CM रेवंत रेड्डी के ‘एंटी-हिंदू’ बयान पर BJP नेताओं का कड़ा प्रहार: देशभर में विवाद गरमाया
- byAman Prajapat
- 03 December, 2025
विवाद की शुरुआत
3 दिसंबर 2025 को, जब Indian National Congress की एक कार्यकारिणी बैठक में बोलते हुए, तेलंगाना के मुख्यमंत्री A. Revanth Reddy ने हिन्दू देवी-देवताओं और धार्मिक आस्थाओं पर टिप्पणी की — उन्होंने सवाल उठाया कि “हिंदुओं के कितने भगवान हैं? तीन करोड़?”, और कहा कि अलग-अलग सामाजिक/धार्मिक/आचरण समूहों के लोग अलग भगवान मानते हैं।
उन्होंने कहा कि “कुछ लोग बियर-शराब पीते हैं, कुछ दल-चावल खाते हैं; हर समूह का अपना भगवान है” — इस तरह के अभिव्यक्तियों को कई लोगों ने देवी-देवताओं का अपमान मानकर देखा।
इस बयान के साथ ही राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया — विरोध, आलोचना, और सोशल मीडिया पर तूफानी प्रतिक्रिया।
भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया
Bharatiya Janata Party (BJP) के वरिष्ठ नेताओं ने Revanth Reddy की टिप्पणी की “सिद्ध निंदा” की है। उन्होंने इसे हिन्दुओं की धार्मिक आस्थाओं का मजाक, देवी-देवताओं का अपमान, और कांग्रेस की निहित “हिंदू-विरोधी मानसिकता” का प्रतीक बताया।
राज्य BJP अध्यक्ष ने मांग की है कि Revanth Reddy तुरंत सार्वजनिक रूप से हिन्दू समाज से माफी मांगे। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी "घोर दुर्भावनापूर्ण और अस्वीकार्य" है।
केंद्रीय नेतृत्व में भी प्रतिक्रिया आई — केंद्र के मंत्री G Kishan Reddy तथा Bandi Sanjay Kumar ने बयान को “निंदनीय” बताया और कहा कि यह कांग्रेस-BRS गठबंधन की तुष्टिकरण नीति की दिशा में एक कदम है।
BJP ने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन बुलाया है — विरोध प्रदर्शन में Revanth Reddy की प्रतिमा दहन की भी धमकी दी गई है।
अन्य दलों और सामाजिक प्रतिक्रिया
विरोध सिर्फ BJP तक सीमित नहीं रहा — Bharat Rashtra Samithi (BRS) सहित अन्य राजनीतिक दलों ने भी टिप्पणी को आपत्तिजनक और हिंदू भावनाओं के प्रति असंवेदनशील करार दिया है।
कुछ हिंदू संगठन और सामाजिक समूह भी आहत महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि देवी-देवताओं तथा धार्मिक आस्थाओं का मजाक करना न सिर्फ असम्मानजनक है, बल्कि धार्मिक सद्भाव और सामाजिक एकता को भी चोट पहुँचाता है।
वहीं उन समर्थकों का कहना है कि Revanth Reddy का बयान “स्वीकार्य सामाजिक टिप्पणी” था — उन्होंने इसे धर्म और आस्था पर खुली चर्चा के रूप में देखा। हालांकि, इस पक्ष ने अभी तक सार्वजनिक मंच पर जोर नहीं पकड़ा।

राजनीतिक दिशा और हिन्दू-विरोधी आरोप
BJP का आरोप है कि यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि समूचे कांग्रेस–BRS गठबंधन की “तुष्टिकरण” और “हिंदू विरोधी” मानसिकता की खुली अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहने वालों ने हिन्दू धर्म की आस्थाओं का मजाक बनाकर वोट बैंक की राजनीति की है।
BJP नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर कांग्रेस या BRS सत्ता में बने रहे, तो हिन्दू समाज को धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से असुरक्षित महसूस करना पड़ेगा। उन्होंने हिन्दू एकता और आगाह रहने की अपील की है।
विपक्षी दलों, समर्थकों और धार्मिक संगठनों इस बयान को हिन्दू-भावनाओं पर हमला और सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा बता रहे हैं।
संभावित आगे की राजनैतिक तेज़ी
देखते हैं क्या Revanth Reddy सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हैं, या विवाद को टालने की कोशिश करते हैं। अगर माफी नहीं आई, तो भाजपा द्वारा बुलाए गए राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन और बड़े पैमाने पर धार्मिक समूहों की एकजुटता से सत्ता पक्ष के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
यह मामला 2025-26 के सामाजिक-धार्मिक और राजनीतिक विमर्श के केंद्र में हो सकता है — हिन्दू धर्म, धार्मिक सम्मान, तुष्टिकरण, वोट बैंक राजनीति और धार्मिक एकता जैसे मुद्दे फिर से गरम होंगे।
राज्य स्तर पर धार्मिक और सामाजिक समूहों के आह्वान के साथ, सत्ताधारी दलों पर दबाव बनेगा कि वे सार्वजनिक राय और संवेदनशीलता का ध्यान रखें — अन्यथा यह विवाद लंबे समय तक जारी रह सकता है।
निष्कर्ष
भाई, जो हुआ वो सिर्फ़ एक बयान नहीं — भावनाओं, आस्थाओं, और सामाजिक संवेदनाओं का मसला है। जब आप किसी धर्म के श्रद्धालुओं की भावनाओं को छेडते हो, तो वो सिर्फ राजनीति नहीं होती — वो सम्मान और विश्वास की बात होती है। अगर नेता जन-भावनाओं को समझ कर नहीं बोलते, तो हल्का विवाद नहीं — आग खड़ी हो जाती है।
अब देखना है कि Revanth Reddy और उनकी पार्टी इस तूफान में कैसे आगे बढ़ते हैं। क्या वे माफी मांगेंगे, या बहाने बनाएंगे। जनता की नजर है — और राजनीति की धार अब बहुत तेज है।
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जीणमाता मंदिर के पट...
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