इंजीनियरिंग से इनोवेशन तक: B.E./B.Tech में अब EV डिज़ाइन व मैन्युफैक्चरिंग सीखना बन गया रूटीन
- byAman Prajapat
- 01 November, 2025
आज के ज़माने में जब सड़कों पर पेट्रोल-डीज़ल वाली गाड़ियों की जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) तेजी से अपनी जगह बना रही हैं, तब इंजीनियरिंग एजुकेशन ने भी पीछे नहीं हटने का फैसला किया है। बी. ई./बी. टेक की पारंपरिक पाठ्यक्रम संरचना जो मुख्यतः सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग पर केंद्रित थी — उसमें अब एक नया अध्याय खुल रहा है: EV - डिज़ाइन से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक का फोकस।
क्यों यह बदलाव जरूरी था?
वैश्विक स्तर पर ई-मोबिलिटी की दिशा तेज है। फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम करना, क्लीन टेक्नोलॉजी को अपनाना — फिर चाहे यह बैटरी टेक्नोलॉजी हो, मोटर्स व पावर इलेक्ट्रॉनिक्स हो या चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर। उस दिशा में इंजीनियरिंग शिक्षा को तैयार होना ही था।
उद्योग में ऐसे इंजीनियरों की मांग बढ़ रही है जो सिर्फ थ्योरी पढ़ें न बल्कि डिज़ाइन करें, मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया समझें, प्रोटोटाइप तैयार करें — यानी क्लासरूम से निकलकर वर्कशॉप और लॅब तक जायें। उदाहरण के लिए कुछ कॉलेजों ने EV-विशेष पाठ्यक्रम शुरू कर दिये हैं।
पाठ्यक्रम में क्या-क्या शामिल हो रहा है?
बैटरी पैक डिजाइन, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS) — यह EV की जान हैं।
इलेक्ट्रिक मोटर्स और ड्राइव ट्रेनों का डिज़ाइन व नियंत्रण (electric powertrains)।
EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, स्विचिंग सिद्धांत, थर्मल मैनेजमेंट।
मैन्युफैक्चरिंग टूल्स और प्रैक्टिकल वर्क-लैब्स: CAD/CAM प्लेटफार्म, प्रोटोटाइप निर्माण, लेबोरेटरी एक्सपेरिमेंट्स।
समग्र रूप से — पर्यावरण-सततता (sustainability), नए मटेरियल्स, मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया का विश्लेषण।
ये कैसे हो रहा है भारत में?
कुछ उदाहरण देते हैं:
GD Goenka University ने “B.Tech Mechanical Engineering with specialization in Electric Vehicles” नामक 4-वर्षीय कोर्स तैयार किया है जिसमें EV डिज़ाइन, बैटरी थर्मल मैनेजमेंट, इलेक्ट्रिक पॉवरट्रेन जैसे विषय शामिल हैं।
Manav Rachna International Institute of Research and Studies ने B.Tech (Hons) ME specialization Electric Vehicles पेश किया है — जिसमें EV टेस्टिंग, सिमुलेशन लैब्स आदि हैं।
Techno India University ने “B.Tech in Automotive Manufacturing Engineering (Electric Mobility)” कोर्स शुरू किया है — जहाँ मैन्युफैक्चरिंग व मटेरियल टेक्नोलॉजी पर जोर है।

छात्रों के लिए अवसर क्या हैं?
ऐसे कोर्स की मदद से छात्र सीधे EV इंडस्ट्री में डिज़ाइन इंजीनियर, मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियर, बैटरी टेक्नोलॉजी स्पेशलिस्ट आदि भूमिका निभा सकते हैं।
भविष्य-रेखांकित करियर — ICE (इंटर्नल कम्बशन इंजन) आधारित वाहन धीरे-धीरे पीछे हट रहे हैं। EV-सेक्टर में तेजी आ रही है।
अनुभव-आधारित लॅब व प्रोजेक्ट वर्क का अवसर — यह सिर्फ सिद्धांत नहीं, व्यवहार है।
चुनौतियाँ और बातें ध्यान देने योग्य
पाठ्यक्रम जल्दी बदल रहे हैं — टेक्नोलॉजी हर दिन नयी होती जा रही है। इसका मतलब है कि छात्रों को लगातार सीखते रहने का मनोबल रखना होगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर/लॅब्स अच्छा होना चाहिए — सिर्फ नाम का नहीं। यदि कॉलेज में EV-लॅब्स, प्रोटोटाइप वर्कशॉप्स नहीं हैं, तो वास्तविक अनुभव की कमी हो सकती है।
उद्योग-मिलन (industry interface) महत्वपूर्ण है — सिलेबस सिर्फ कागज़ पर न रहे, उद्योग-प्रायोगिक अनुभव देना चाहिए। कुछ संस्थानों ने इसे ध्यान में रखा है। एक उदाहरण है कि Dr APJ Abdul Kalam Technical University (AKTU) ने उद्योग‐नेताओं को सिलेबस तैयार करने में शामिल किया है ताकि छात्रों को उद्योग के अनुरूप कौशल मिले।
निष्कर्ष
तो दोस्तों — अगर तुम इंजीनियरिंग कर रहे हो या करने वाले हो, और अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारा करियर सिर्फ कैमेरों के पीछे न रहे बल्कि हवा बदलने वाला हो — तो EV-डिज़ाइन व मैन्युफैक्चरिंग वाले पाठ्यक्रम पर एक गहरी नज़र डालो। यह सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि आने वाले दशकों की दिशा है। इंजीनियरिंग + इनोवेशन = EV युग।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
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