उत्तराखंड STF ने डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड का पर्दाफाश: बेंगलुरु से 87 लाख ठगने वाला मुख्य आरोपी गिरफ्तार
- byAman Prajapat
- 14 November, 2025
उत्तराखंड में अब तक बड़ी सफलता दर्ज की गई है, जब Uttarakhand Special Task Force (STF) ने एक साइबर क्राइम रैकेट का खुलासा किया जिसमें ८७ लाख रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी सामने आई। मामला इस प्रकार है:
घटना की पृष्ठभूमि
उत्तराखंड के जिलों—मुख्यतः Dehradun और Nainital में—ऐसे कई नागरिकों ने शिकायत की कि उन्हें अचानक व्हाट्सएप या कॉल के ज़रिए बताया गया कि उनकी फ़ोन नंबर या बैंक खाता किसी मनी लॉन्ड्रिंग या अन्य अपराध से जुड़ा हुआ है। इस दौरान उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” की स्थिति में रखा गया—जहाँ उन्हें बताया गया गया कि यदि वे सहयोग नहीं करेंगे तो कानूनी कार्रवाई होगी।
धोखेबाजों ने खुद को Central Bureau of Investigation (CBI) और Mumbai Police के अधिकारी दिखाया और डराया-धमकाया गया।
किस तरह ठगी हुई
– एक शिकायतकर्ता ने बताया कि अगस्त-सितम्बर के दौरान उन पर दबाव बनाया गया कि तुरंत कुछ लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करें।
– जांच में सामने आया कि इस गैंग ने कम-से-कम ₹41 लाख एक बैंक खाते (Yes Bank में) में ट्रांसफर कराया, जिसे एक फर्म के नाम से खोल रखा गया था — Rajeshwari GAK Enterprises।
– बैंक खाते और मोबाइल मोबाइल/लैपटॉप व अन्य उपकरणों से खुलासा हुआ कि वहाँ २४ से अधिक राज्यों में 24 से अधिक शिकायतें दर्ज थीं और ₹9 कोटि से अधिक संदिग्ध लेन-देने दर्ज थे।
आरोपी की पहचान
मुख्य आरोपी का नाम Kiran Kumar KS (31 वर्ष, बेंगलुरु के येलहंका निवासी) बताया गया है।
– आरोपी पहले भी दिल्ली, कुमाऊँ साइबर पुलिस थानों में दर्ज मामलों में नामजद था।
– STF की टीम ने बेंगलुरु में उसे पकड़ा और ट्रांजिट रिमांड पर देहरादून लाया गया।

जांच-प्रक्रिया और आगे का मार्ग
– STF ने आरोपी के पास से लैपटॉप, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, बैंक डॉक्युमेंट्स व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए।
– आरोपी द्वारा इस्तेमाल किए गए बैंक खाते-फर्मों पर भी notice जारी किया गया है।
– STF वरिष्ठ अधिकारी Navneet Singh ने बताया कि इस गिरोह ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के माध्यम से लोगों को लगभग 48 घंटे तक मोबाइल व व्हाट्सएप कॉल्स में दबाए रखा।
समाज-परिवर्तन का संदेश
यह मामला दिखाता है कि तकनीक का दुरूपयोग किस तरह किया जा सकता है। हम ये नहीं कह रहे कि टेक-उपकरण बुरे हैं—उन्हें सही ढंग से इस्तेमाल करना सीखना होगा।
– अपने बैंक खाते, व्हाट्सएप कॉल्स आदि में अगर अचानक कोई अधिकारी-पोस्टर खुद को बताकर डराए-धमकाए, तो शांत रहें।
– मन में हमेशा बातें रखें: कोई भी सरकारी एजेंसी पहले बिना वाजिब कारण पैसे नहीं मांगती।
– लेन-देने में हमेशा बैंक के अधिकृत चैनल ही इस्तेमाल करें।
– किसी भी संदिग्ध कॉल/संदेश की सूचना तुरंत साइबर पुलिस को दें।
निष्कर्ष
देहरादून से बेंगलुरु तक हुए इस क्रॉस-स्टेट ऑपरेशन ने यह साबित किया है कि देश भर में फैले साइबर फ्रॉड्स को सिर्फ स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि समन्वित रूप से रोकना होगा। उत्तराखंड STF की यह कार्रवाई साहसिक है—लेकिन यह सिर्फ एक शुरुआत है। ऐसे फ्रॉड्स से न जूझने वाला अकेला नागरिक नहीं है; उनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
यहां यह भी याद रखना होगा कि सही-गलत का फर्क तकनीक में नहीं बल्कि हमारे व्यवहार में है—जब हम सतर्क रहते हैं, तभी नुकसान-रोग कम होता है।
इस तरह, इस किस्से ने हमें ऐसा सबक दिया कि- “डर से आगे डर टूटता है”। और जब कानून-व्यवस्था, तैयारी व तकनीक साथ हों, तो फ्रॉडर्स को पकड़ना संभव है।
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राजस्थान में अपराधों...
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