भारत के शीर्ष 1% की संपत्ति में 2000 के बाद 62% की बढ़ोतरी — G20 रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
- byAman Prajapat
 - 04 November, 2025
 
                                    🇮🇳 भारत के टॉप 1% की संपत्ति 62% बढ़ी — अमीरी और गरीबी के बीच गहराई खाई, G20 रिपोर्ट का खुलासा
नई दिल्ली, 4 नवंबर 2025 — दुनिया के प्रमुख अर्थतंत्रों पर जारी G20 की नवीनतम “Global Wealth Distribution Report 2025” ने भारत की आर्थिक हकीकत पर एक सख्त रोशनी डाली है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2000 से अब तक भारत के शीर्ष 1% अमीर वर्ग की संपत्ति में 62% की भारी वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि देश की बाकी 99% आबादी की आय में बढ़ोतरी बेहद सीमित रही।
रिपोर्ट का यह खुलासा न सिर्फ भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता की गवाही देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि संपत्ति का बड़ा हिस्सा अब बहुत कम हाथों में सिमटता जा रहा है।
📈 रिपोर्ट की मुख्य बातें
वर्ष 2000 से 2025 के बीच भारत के टॉप 1% की कुल संपत्ति में 62% की वृद्धि हुई।
देश की निचली 50% आबादी की औसत आय में सिर्फ 2.8% वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई।
शीर्ष 10% आबादी अब भारत की कुल संपत्ति का लगभग 77% हिस्सा नियंत्रित करती है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर यही रफ्तार जारी रही, तो 2030 तक भारत में अमीर-गरीब का अंतर ऐतिहासिक स्तर पर पहुँच सकता है।
💰 कैसे बढ़ी टॉप 1% की संपत्ति
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तेजी से बढ़ते स्टॉक मार्केट, रियल एस्टेट निवेश, टेक्नोलॉजी सेक्टर और कॉर्पोरेट विस्तार ने अमीर तबके को और समृद्ध किया है। वहीं, आम वर्ग के लिए रोजगार अवसरों में स्थिरता और बढ़ती महंगाई ने उनकी आय की वृद्धि को लगभग रोक दिया।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के टॉप इंडस्ट्रियल हाउस, टेक दिग्गज और निवेशक लगातार अपनी संपत्ति को ग्लोबल मार्केट्स, डिजिटल इन्वेस्टमेंट्स, और कंपनी मर्जर्स के जरिए बढ़ा रहे हैं।
⚖️ आर्थिक असमानता की बढ़ती खाई
जहाँ भारत ने पिछले दो दशकों में GDP के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की है, वहीं आम भारतीय के लिए यह विकास अभी भी “कागज़ पर” जैसा है।
रिपोर्ट के मुताबिक:
भारत में औसत शहरी आय गाँवों की तुलना में लगभग तीन गुना है।
ग्रामीण भारत की प्रति व्यक्ति संपत्ति, टॉप 1% की संपत्ति की तुलना में 200 गुना कम है।
महिला संपत्ति धारकों की हिस्सेदारी अभी भी कुल संपत्ति का मात्र 18% है।

🗣️ विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विश्लेषक डॉ. नीलिमा घोष के अनुसार,
“भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, लेकिन उसका लाभ समान रूप से नहीं बाँटा जा रहा। नीति निर्माताओं को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि विकास केवल ग्राफ पर नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी दिखे।”
इसी तरह, अर्थशास्त्री प्रो. आर.के. मिश्रा का कहना है,
“अगर सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर फोकस नहीं बढ़ाती, तो यह असमानता आगे चलकर सामाजिक तनाव और आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकती है।”
📊 दुनिया के अन्य देशों से तुलना
G20 रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के साथ-साथ ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी संपत्ति का बड़ा हिस्सा शीर्ष 1% के पास केंद्रित है।
हालांकि जापान और कनाडा जैसे देशों में असमानता का स्तर अपेक्षाकृत कम है, क्योंकि वहाँ टैक्स रिफॉर्म्स, सोशल वेलफेयर स्कीम्स, और शिक्षा निवेश ने संतुलन बनाए रखा है।
🔍 अब आगे क्या?
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को:
वेल्थ टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स जैसे कदमों पर दोबारा विचार करना चाहिए।
रोजगार सृजन, मध्यम वर्ग को प्रोत्साहन और गरीबों के लिए क्रेडिट एक्सेस बढ़ाने की ज़रूरत है।
सरकारी योजनाओं की ग्राउंड इम्प्लीमेंटेशन पर सख्ती से निगरानी होनी चाहिए।
🌏 अंतिम शब्द
भारत की यह कहानी सिर्फ विकास की नहीं, बल्कि विकास के असमान वितरण की भी है।
जहाँ एक ओर भारत के कुछ नाम वैश्विक अरबपतियों की सूची में चमक रहे हैं, वहीं दूसरी ओर करोड़ों लोग अभी भी बेसिक ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
G20 की यह रिपोर्ट एक आईना है — जिसमें भारत की चमकती तस्वीर के पीछे छिपी छायाएँ साफ़ दिखती हैं।
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