एफटीए वार्ता को गति देने पहुंचे पीयूष गोयल, न्यूज़ीलैंड में व्यापार समझौते की प्रगति की समीक्षा
- byAman Prajapat
- 05 November, 2025
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच व्यापारिक रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस सप्ताह एक आधिकारिक दौरे पर न्यूज़ीलैंड पहुंचे हैं। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) यानी मुक्त व्यापार समझौते पर चल रही वार्ताओं की समीक्षा करना और दोनों देशों के बीच निवेश एवं आर्थिक सहयोग के नए रास्ते तलाशना है।
पीयूष गोयल ने अपने दौरे के पहले दिन वेलिंगटन में न्यूज़ीलैंड के वाणिज्य मंत्री और कृषि मंत्री से विस्तृत वार्ता की। दोनों पक्षों ने आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया। चर्चाओं में कृषि उत्पादों, डेयरी सेक्टर, शिक्षा, पर्यटन, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर भी गहराई से विमर्श हुआ।
गोयल ने कहा कि भारत एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है और न्यूज़ीलैंड के साथ एफटीए से न केवल व्यापार बढ़ेगा, बल्कि रोजगार और नवाचार के नए अवसर भी खुलेंगे। उन्होंने बताया कि भारत सरकार का लक्ष्य ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ के माध्यम से घरेलू उद्योगों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है, और एफटीए इस दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है।
न्यूज़ीलैंड के वाणिज्य मंत्री ने भी कहा कि भारत उनके लिए एक “रणनीतिक व्यापारिक साझेदार” है। उन्होंने भारत के साथ कृषि निर्यात, सेवा क्षेत्र, और डिजिटल व्यापार में सहयोग को बढ़ाने की इच्छा जताई।
दौरे के दौरान, पीयूष गोयल ने भारतीय प्रवासी समुदाय से भी मुलाकात की। उन्होंने प्रवासियों को भारत की आर्थिक प्रगति में भागीदारी के लिए प्रेरित किया और कहा कि “भारत आज एक आत्मनिर्भर राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है। हर भारतीय का योगदान इस परिवर्तन का हिस्सा है।”
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच एफटीए पर सहमति बनती है, तो दोनों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। फिलहाल भारत न्यूज़ीलैंड से डेयरी उत्पाद, ऊन और मशीनरी जैसे उत्पाद आयात करता है, जबकि न्यूज़ीलैंड भारत से दवाइयां, परिधान, और आईटी सेवाएं लेता है।
गोयल ने अपने दौरे के दौरान न्यूज़ीलैंड के प्रमुख व्यापारिक संगठनों और निवेशकों से भी मुलाकात की। उन्होंने निवेशकों को भारत में बदलते कारोबारी माहौल और आसान निवेश नीतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि “भारत अब केवल एक बड़ा बाजार नहीं, बल्कि नवाचार और अवसरों का केंद्र बन चुका है।”

इसके अलावा, दोनों देशों ने शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई। न्यूज़ीलैंड के विश्वविद्यालय भारत के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप और शोध सहयोग के नए अवसर प्रदान करने पर विचार कर रहे हैं।
पीयूष गोयल का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत विश्व स्तर पर अपनी व्यापार नीतियों को नए सिरे से आकार दे रहा है। हाल ही में भारत ने कई देशों के साथ एफटीए वार्ताएं तेज की हैं, जिनमें यूरोपीय संघ, कनाडा, और यूके प्रमुख हैं।
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच एफटीए वार्ता 2007 में शुरू हुई थी, लेकिन डेयरी उत्पादों और कृषि क्षेत्र से जुड़ी संवेदनशीलताओं के कारण यह लंबे समय से अटकी हुई थी। अब दोनों देशों की सरकारें इस समझौते को “व्यापक और संतुलित” रूप में अंतिम रूप देने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही हैं।
इस दौरे के अंत में पीयूष गोयल ऑकलैंड में भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करेंगे और ‘India-New Zealand Business Forum’ में मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होंगे। यह मंच दोनों देशों के व्यापारिक नेताओं के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देगा।
आखिरकार, यह दौरा न केवल भारत-न्यूज़ीलैंड के रिश्तों को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की वैश्विक आर्थिक रणनीति में एक नया अध्याय जोड़ देगा।
गोयल की यह यात्रा यह संदेश देती है कि भारत अब किसी भी साझेदारी में केवल आयातक नहीं, बल्कि एक समान अवसरों वाला भागीदार बनना चाहता है — जो अपने दम पर दुनिया के साथ व्यापारिक रिश्तों को फिर से परिभाषित कर रहा है।
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