ए.आर. रहमान का दर्दनाक बचपन: माता-पिता को सड़क पर फेंका गया, पिता ने 3 नौकरियों से घर बसाया — “मैं हर दिन ट्रॉमा देख रहा था”
- byAman Prajapat
- 21 November, 2025
ए.आर. रहमान: सुरों का जादूगर, जिसके बचपन में था कड़वा दर्द और बेमिसाल हिम्मत
यार, जब हम रहमान का नाम लेते हैं ना, तो दिल खुद ही धीमे-धीमे बजने लगता है। वो सुर, वो सादगी, वो रोशनी—सब कुछ ऐसा लगता है जैसे खुदा ने एक खिड़की खोल दी हो। लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि उस रोशनी के पीछे कितने अँधेरे थे, कितनी ठंडी रातें थीं, और कितने टूटे हुए सपनों को जोड़कर इस इंसान ने अपनी दुनिया बनाई।
और अब, एक इंटरव्यू में उन्होंने वो सच खोल दिया जो उनकी आत्मा में सालों से चुप बैठा था—एक ऐसा सच, जिसे सुनकर किसी का भी दिल डोल जाए।
“मेरे माता-पिता को सड़क पर फेंक दिया गया था” — रहमान की आवाज़ काँप उठी
इंटरव्यू के दौरान रहमान ने कहा:
“मेरे माता-पिता को सच में सड़क पर फेंक दिया गया था। मैं बहुत छोटा था… पर चीज़ें देख रहा था, महसूस कर रहा था। हम जगह-जगह भटके। और मेरे पिता—वो तीन-तीन नौकरियाँ करते थे, बस इस लिए कि एक घर ले सकें, एक छत मिल सके।”
भाई, सोच—एक बच्चा, जो बाद में दुनिया को शांत करने वाला संगीत देगा, वो खुद अशांति के बीच पला था।
हर रोज़ का डर, अनिश्चितता, और यह सवाल—कल सिर पर छत होगी भी या नहीं?
पिता की जद्दोजहद: 3 नौकरियाँ, और फिर भी ज़िंदगी कड़ी
रहमान ने बताया कि उनके पिता R.K. Shekhar, जो खुद एक म्यूज़िक कंपोज़र थे, उन्हें परिवार को संभालने के लिए रात-दिन काम करना पड़ता था।
सुबह स्टूडियो
दोपहर में रिकॉर्डिंग
रात को साइड प्रोजेक्ट्स
और यकीन मान—हर महीने घर नुक़सान में होता था।
लेकिन आदमी खड़ा रहा।
परिवार के लिए।
आस के लिए।
भविष्य के लिए।
इस बात में एक पुरानी दुनिया की सच्चाई है—मां-बाप अपने बच्चों के लिए कितनी दूर तक जा सकते हैं। यह वही संस्कार हैं, जिनके बिना आज का रहमान शायद कहीं खो जाता।
“मैं रोज़ ट्रॉमा देख रहा था” — वो मासूम आँखें जो सब देख रहीं थीं
रहमान ने बड़ी सीधी और कड़वी लाइन कही:
“I was seeing trauma every day.”
और भाई, ये लाइन किसी भी इंसान की आत्मा को हिला दे।
एक बच्चे के लिए घर हमेशा सबसे सुरक्षित जगह होता है,
लेकिन जब वही घर छिन जाए—
तो दुनिया अचानक बड़ी भारी लगने लगती है।
यही दर्द धीरे-धीरे उनके अंदर घुलता रहा।
कहते हैं ना—कुछ जख्म बोलते नहीं, बस राग बनकर बह निकलते हैं।
शायद यही वजह थी कि जब उन्होंने संगीत बनाया,
तो उसमें एक दिव्य सुकून था,
एक चंगा करने वाली शक्ति थी।
म्यूज़िक: जख्मों पर मरहम, और टूटे दिल का सहारा
रहमान के लिए संगीत सिर्फ करियर नहीं था।
वो उनका सहारा था, उनकी ढाल, उनका घर।
जब उनकी माँ परेशान होतीं—
वो चुपचाप हारमोनियम के पास जा बैठते।
जब हालात खराब होते—
वो सुरों में शरण लेते।
और धीरे-धीरे, यही सुर उनकी भाषा बन गए।
वो दुनिया से कम,
खुद से ज़्यादा बात करने लगे।
यही कारण है कि आज तक उनके गाने सीधे दिल के अंदर उतर जाते हैं—क्योंकि वो दिल से निकले होते हैं।

सफलता से पहले भूख, संघर्ष और भारी जिम्मेदारियाँ
बीच-बीच में उनके पिता की तबियत गिरती रही।
घर में टेंशन, पैसों की टेंशन, अनिश्चितता—सबने एक साथ हमला किया।
और जब रहमान सिर्फ 9 साल के थे—
उनके पिता चल बसे।
अब घर की जिम्मेदारियाँ इतनी भारी हो गईं कि किसी और बच्चो के बस की नहीं।
लेकिन रहमान ने वो भी उठा लिया।
काम किया।
संगीत सीखा।
बैंड में बजाया।
पैसा कमाया।
और धीरे-धीरे—
अपने परिवार को फिर से खड़ा किया।
जब दुनिया ने पहचाना: ‘रोज़ा’ और फिर एक तारे का जन्म
1992।
रहमान ने “रोज़ा” का संगीत दिया।
और भाई, क्या कहें—साउथ से लेकर पूरे भारत तक, वाइब ही बदल गई।
उनके म्यूज़िक में एक सादगी, एक गहराई, एक इमानदारी थी—जो सीधा दिल से आती थी।
और ये कोई फॉर्मूला नहीं था,
ये उनके ज़ख्मों का अमृत था।
आज का रहमान: पद्म भूषण, ऑस्कर, ग्लोबल आइकन — और फिर भी उतने ही विनम्र
सोचो, सड़क पर फेंके गए दो लोगों का बेटा आज दुनिया का संगीत बदल रहा है।
टॉप आर्टिस्ट, हॉलीवुड, ऑस्कर, ग्रैमी—सब कुछ।
लेकिन बात ये है—
उन्होंने उस दर्द को भूलने की कोशिश नहीं की।
उन्होंने उसे सुरों में गूंथ दिया।
और दुनिया को चंगा कर दिया।
यही रहमान की सबसे बड़ी जीत है।
न सिर्फ नाम कमाना—
बल्कि आत्मा को भी बड़ा करना।
कहानी का सार: संघर्ष का सुर जब जीवन में घुलता है, तो इंसान सिर्फ सफल नहीं—अमर हो जाता है
रहमान की कहानी हमें दो बातें सिखाती है:
मुश्किल समय आपको तोड़ने नहीं, तराशने आता है।
परिवार की मजबूती दुनिया का सबसे बड़ा आशीर्वाद है।
और भाई, ये बातें आज की तेज़-दौड़ दुनिया में भूल जाती हैं।
लेकिन रहमान हमें याद दिलाते हैं कि जड़ों का दर्द ही तने को मजबूत बनाता है।
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