गुरुग्राम: मोबाइल फ़ोन में बिजी रहना बना मौत की वजह, 11वीं के छात्र ने सहपाठी को पिता की लाइसेंसी पिस्तौल से घातक गोली मारी
- byAman Prajapat
- 10 November, 2025
हरियाणा का गुरुग्राम — चमचमाती सड़कों, ऊँचे-ऊँचे टावरों और शानदार स्कूलों के बीच अचानक एक ऐसी घटना घटी जिसने हर अभिभावक और छात्र को भीतर तक हिला दिया। मोबाइल फोन में मशगूल रहने और बातचीत को नजरअंदाज करने की एक मामूली-सी बात ने एक मासूम छात्र की ज़िंदगी लगभग खत्म कर दी।
शनिवार की रात, सेक्टर 48 के एक फ्लैट में तीन स्कूली छात्र मौजूद थे। वे सभी 11वीं कक्षा में पढ़ते थे। बाहर से यह बस दोस्तों की मुलाकात लग रही थी — शायद थोड़ी बातचीत, थोड़ी हंसी-मज़ाक। लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि यह मुलाकात खून-खराबे में बदल जाएगी।
📱 घटना की शुरुआत: मोबाइल में डूबा दोस्त और भड़कता गुस्सा
आरोपी छात्र अपने दो दोस्तों के साथ कमरे में बैठा था। उनमें से एक — जो बाद में पीड़ित बना — अपने मोबाइल फोन में लगातार व्यस्त था। इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, शायद कुछ गेम, या फिर किसी से चैट — पता नहीं। आरोपी उससे कुछ पूछ रहा था, कुछ बात करना चाहता था, लेकिन जब उसे कोई जवाब नहीं मिला, तो भीतर कुछ टूट गया।
लोग कहते हैं, गुस्सा कभी-कभी बिन सोचे-समझे इंसान को कुछ ऐसा करने पर मजबूर कर देता है जो उसने खुद भी नहीं सोचा होता। और यहाँ भी वही हुआ।
🔫 लाइसेंसी पिस्तौल बनी जानलेवा हथियार
आरोपी के पिता एक सुरक्षा एजेंसी में काम करते हैं। उनके पास एक लाइसेंसी पिस्तौल थी, जो आलमारी में रखी हुई थी। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने मौका देखकर पिस्तौल निकाली और बिना किसी चेतावनी के गोली चला दी।
गोली सीधे पीड़ित के गले में लगी, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हो गई। खून पूरे कमरे में फैल गया। बाकी दोस्त सन्न रह गए।
एक क्षण पहले जो जगह हंसी-मज़ाक से भरी थी, वह अब सन्नाटे और भय से गूँज रही थी।
🚨 फौरन अस्पताल और पुलिस की हलचल
आस-पास के लोगों ने आवाज़ सुनी और जब कमरे का दरवाज़ा खुला तो अंदर का मंजर देख सबके होश उड़ गए। घायल छात्र को आनन-फानन में मेदांता अस्पताल पहुँचाया गया। वहाँ डॉक्टरों ने बताया कि हालत नाज़ुक है और ऑपरेशन जारी है।
वहीं, पुलिस को सूचना दी गई। सेक्टर 48 थाना पुलिस ने तुरंत आरोपी और उसके साथी को हिरासत में ले लिया।
जब पुलिस ने पूछताछ की, तो आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने गोली मारी क्योंकि “वो (पीड़ित) उसकी बात सुन नहीं रहा था, मोबाइल में लगा था।” यह सुनकर पुलिस अधिकारी भी कुछ देर तक चुप रहे — इतनी तुच्छ वजह पर ऐसी जघन्य हरकत!
🧠 पुलिस जांच और बरामद सबूत
पुलिस को मौके से एक .32 बोर पिस्तौल, दो मैगज़ीन और करीब 70 कारतूस मिले। यह सब आरोपी के पिता की लाइसेंसी बंदूक के थे।
आरोपी नाबालिग है, इसलिए उसे सुधार गृह भेजा गया है। पिता पर भी “लापरवाही से हथियार रखने” का मामला दर्ज किया गया है।
📚 स्कूल और समाज में मची हलचल
यह घटना जिस स्कूल के छात्रों से जुड़ी है, वहाँ का माहौल ग़मगीन है। सहपाठी सदमे में हैं। स्कूल प्रशासन ने कहा कि “यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी है कि हम अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और संवाद की क्षमता पर कितने कम ध्यान दे रहे हैं।”
कुछ अभिभावकों ने सवाल उठाया —
“क्या हम बच्चों को मोबाइल दे रहे हैं या अकेलापन?”
“क्या घरों में रखे हथियार अब बच्चों के हाथों में असली खतरा बन रहे हैं?”
🕰️ बीते दिनों का झगड़ा और पुरानी रंजिश
जांच में सामने आया कि दोनों छात्रों में कुछ महीने पहले एक झगड़ा हुआ था। स्कूल में किसी छोटी बात को लेकर विवाद हुआ था, और शायद वहीं से नाराजगी दिल में घर कर गई थी।
घटना के दिन मोबाइल-वाली बात उस पुरानी चिंगारी को हवा देने का काम कर गई।

💭 मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण: मोबाइल, गुस्सा और नियंत्रण की कमी
कई मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अब बच्चे भावनात्मक रूप से ज़्यादा अस्थिर हो रहे हैं।
मोबाइल उन्हें एक ‘प्राइवेट दुनिया’ में बंद कर देता है, जहाँ कोई हस्तक्षेप नहीं चाहता।
जब कोई उन्हें उस दुनिया से खींचने की कोशिश करता है, तो झुंझलाहट हिंसा का रूप ले लेती है।
साथ ही, किशोरावस्था में ‘ego’ और ‘impulse control’ का स्तर बहुत नाजुक होता है।
एक मनोचिकित्सक ने कहा —
“यह केस सिर्फ एक गोली नहीं, यह समाज के मौन और संवादहीनता की गोली है। जब बच्चे मोबाइल से बात करते हैं, लेकिन अपने दोस्तों और परिवार से नहीं, तब ऐसी त्रासदियाँ जन्म लेती हैं।”
🧩 समाज के लिए सीखें
हथियार की सुरक्षा:
लाइसेंसी पिस्तौल भी बच्चों की पहुँच से पूरी तरह दूर रहनी चाहिए। हर बंदूक के साथ सिर्फ लाइसेंस नहीं, ज़िम्मेदारी भी आती है।
मोबाइल संस्कृति पर नियंत्रण:
बच्चे अब मोबाइल को दोस्त, साथी, और मन की राहत मानने लगे हैं। माता-पिता को सीमाएँ तय करनी होंगी, क्योंकि वही स्क्रीन अब रिश्ते खत्म कर रही है।
स्कूलों में संवाद सत्र:
बच्चों को गुस्से को शब्दों में बदलना सिखाना चाहिए। “Anger Management” और “Emotional Literacy” जैसी क्लास अनिवार्य की जानी चाहिए।
मीडिया और समाज की भूमिका:
हर खबर केवल सनसनी नहीं होनी चाहिए; उसे चेतावनी और सीख के रूप में पेश करना चाहिए।
⚖️ कानूनी स्थिति और अगला कदम
आरोपी नाबालिग है, इसलिए Juvenile Justice Act के तहत मामला चलाया जाएगा।
पुलिस ने कहा कि अगर जांच में यह साबित हुआ कि पिता ने हथियार को लापरवाही से संभाला, तो उनके खिलाफ भी Arms Act Section 30 के तहत केस बनेगा।
पीड़ित की हालत अब भी गंभीर बताई जा रही है और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है।
🕯️ घटना का सामाजिक प्रभाव — रिश्तों की टूटती डोर
यह कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि तकनीक, सुविधा और आधुनिकता के बीच हमने “धैर्य” और “संवाद” जैसी चीजें कहीं पीछे छोड़ दी हैं।
हम बच्चों को हर चीज़ दे रहे हैं — महंगे फोन, ऑनलाइन दुनिया, लाइफस्टाइल — लेकिन वक्त और समझ नहीं दे पा रहे।
जब संवाद खत्म होता है, तो ग़लतफ़हमियाँ बढ़ती हैं, और कभी-कभी उनका अंत एक गोली से होता है।
Note: Content and images are for informational use only. For any concerns, contact us at info@rajasthaninews.com.
राजस्थान में अपराधों...
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