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नयनतारा-विग्नेश शिवन ने उज्जैन मंदिर में नवविवाहिता जोड़े को दी आशीर्वाद की छाँव; स्रीलीला भी साथ Spiritual यात्रा पर

नयनतारा-विग्नेश शिवन ने उज्जैन मंदिर में नवविवाहिता जोड़े को दी आशीर्वाद की छाँव; स्रीलीला भी साथ Spiritual यात्रा पर

दक्षिण भारत की फिल्मों में अपनी अदाकारी से स्वयं को एक पहचान दिला चुकी नयनतारा और निर्देशक-लिखकर अभिनेता विग्नेश शिवन के नाम जब उज्जैन की पावन भूमि से जुड़ते हैं, तो उनमें श्रद्धा-शांति का एक अलग भाव झलकता है। हाल ही में, यह जोड़ा मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित प्रसिद्ध मंदिरों — श्री चिन्तामणि गणेश मंदिर और श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग — की ओर गया, जहाँ उन्होंने दर्शन-पूजन के साथ साथ एक और सुंदर घटना में भाग लिया: एक नवविवाहिता जोड़े को आशीर्वाद देना।  

सफर की शुरुआत उस विश्राम-लय से हुई जहाँ नयनतारा लाल साड़ी में जीवन की पारंपरिक धारणाओं को बखूबी साज़ो-सामान के बिना समाहित कर रही थीं, जबकि विग्नेश, सफेद कुर्ता-धोती में, सहजता में थे। सूचना के अनुसार, दोनों ने मंदिर परिसर में एक विवाह समारोह का दृश्य देखा, जहाँ उन्होंने जोड़े को प्यार-मुराद की दुआ के स्वर में आशीर्वाद दिया।  

मगर यह यात्रा केवल दर्शन-पूजन तक सिमटी नहीं थी। इस धार्मिक अवसर में उनके साथ थीं अभिनेत्री स्रीलीला एवं उनकी माता स्वर्णलता। स्रीलीला हल्के-पैले रंग की फ्लोरल साड़ी में थीं, और उन्होंने भी आर्टी-पुष्टि-प्रसाद के क्रम में भाग लिया।  

जब नयनतारा-विग्नेश ने हाथ में हाथ लिए मंदिर के पावन मार्ग को अपनाया, तो उन्होंने अपने मशहूर व्यक्तित्व से हटकर एक आम श्रद्धालु की तरह वहां रमणीय श्रद्धा का अनुभव किया। उन्होंने आर्टी में हाथ उठाया, दीपक-हाथ थामा, और अपने अंदर की शांति को इस माहौल में महसूस किया।

इस यात्रा का अर्थ कई स्तरों पर समझा जा सकता है। एक तो यह कि प्रसिद्ध व्यक्ति भी जीवन में स्थिरता-श्रद्धा के पथ पर चल सकते हैं, और दूसरा कि एक अचानक दृश्य-मोह से परे, उस जोड़े का आशीर्वाद इस यात्रा को एक सामाजिक-मानवीय पल बना गया: जब सेलिब्रिटी ने एक अनजान दांपत्य को बिना किसी ढोल-पटर के विश्वासी रूप में आशीर्वाद दिया।

वृद्ध-आधुनिक समय में, जब त्वरित जीवन-गति और सतत चमक-दमक ने साधारणता को पीछे कर दिया है, ऐसे मौके हमें याद दिलाते हैं कि सरलता में भी गरिमा है। नयनतारा-विग्नेश ने अपनी फिल्म-और-सेलिब्रिटी छवि से हटकर एक कर्म-मूर्धा-खुलापन दिखाया।

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उज्जैन का माहौल, जहाँ गंगा-समान काली पर्वत-धारा, मन्दिरों की प्राचीनता, त्वचा पर पड़ती मंद ज्योति और धूप-घंटियों की खनक’s संग श्रुति होती है, उन दोनों की यात्रा को आध्यात्मिक रूप से और भी गहरा बना गया। उस पवित्र शहर की हवा में न केवल श्रद्धा तरंगित थी बल्कि सामाजिक संवाद की तरह एक क्षण बन गया — जहाँ दर्शन-पूजन के बीच एक जोड़ा आशीर्वाद उपरान्त आगे बढ़ा।

यह दृश्य हमें यह भी याद दिलाता है कि विवाह मात्र एक सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि जीवन-संगिनी के रूप में एक पवित्र व्रत है, जिसे आशीर्वाद-स्वीकृति-ज्ञान से सजाना चाहिए। जब नयनतारा-विग्नेश ने उस नवविवाहिता जोड़े को आशीर्वाद दिया, तो उन्होंने भाव-वरदान दिया — तथा जोड़ा एक दूसरे में और ईश्वर-विश्वास में और अधिक दृढ़ होकर आगे बढ़ा होगा।

साथ ही, स्रीलीला-स्वर्णलता की मौजूदगी ने इस यात्रा को एक बहुसांस्कृतिक-समर्थन का रूप दिया। जब अभिनेत्री-माँ-के-साथ मंदिर-मंडप में कदम रखते हैं, तो यह केवल श्रद्धा-भव नहीं, बल्कि एक संवाद-भव है — जहाँ न सिर्फ खुद के लिए, बल्कि अपने आसपास के लिए भी शांति-चिंतन का वातावरण बनता है।

हम देख सकते हैं कि नयनतारा-विग्नेश की दिनचर्या-स्टॉप-टाइम पर इस तरह की यात्रा कितनी महत्वपूर्ण रही होगी-— फिल्म-शूटिंग, मीडिया-प्रोमोशन, सोशल-मीडिया-करण के बीच में, उन्होंने समय निकाला-और उस समय को पवित्रता-ध्यान-शांति के लिए समर्पित किया। यह हमें याद दिलाता है कि हम जितने व्यस्त हों, उतना ही हमें अपनी आत्मा-सूक्ष्मता के लिए समय निकालना चाहिए।

यह यात्रा इस बात का संकेत भी है कि भारत का मंदिर-संवाद आज भी जन-जीवन की धड़कन में शामिल है — चाहे कोई तमिल-सेलेब्रिटी हो या आम नागरिक। 

अंत में, जब नयनतारा-विग्नेश और स्रीलीला-स्वर्णलता ने मंदिर-दर्शन के बाद बाहर कदम रखा, तो शायद उन्होंने अपनी-अपनी आत्माओं में एक हल्की हलचल महसूस की होगी — एक शांति-आभा, जो किसी रेड-कार्पेट कैमरा-फ्लैश-धूप-शिखा से नहीं, बल्कि दीपक-घन्टी-घोर-मौन से आती है।

इस तरह की यात्राएँ हमें यह सिखाती हैं कि प्रसिद्धि-गरिमा के बावजूद भी — हमें धरती-माँ के पवित्र स्थानों से जुड़ना चाहिए, अपने भीतर की आवाज सुननी चाहिए, और कभी-कभी लेजाना चाहिए उस सरलता-श्रद्धा का हाथ जो जीवन को एक सुन्दर दिशा देती है।


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