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जैसलमेर स्कूल हादसे के लिए सांसद ने कलेक्टर को ठहराया जिम्मेदार, बोले – पहले ही चेतावनी दी थी

जैसलमेर स्कूल हादसे के लिए सांसद ने कलेक्टर को ठहराया जिम्मेदार, बोले – पहले ही चेतावनी दी थी

जैसलमेर में स्कूल हादसे पर बवाल, सांसद ने कलेक्टर को बताया दोषी — बोले: 8 जुलाई को दी थी चेतावनी

जैसलमेर, 30 जुलाई 2025 — राजस्थान के जैसलमेर जिले के पूनमनगर गांव में एक सरकारी स्कूल का मुख्य गेट का पिलर गिरने से एक छात्र की दर्दनाक मौत हो गई। इस दुखद घटना ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। अब इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। जैसलमेर-बाड़मेर के सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने इस घटना के लिए जिला कलेक्टर प्रताप सिंह को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है।

⚠️ "पहले ही दी थी चेतावनी" — सांसद का आरोप

सांसद बेनीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा:

"यह घटना प्रशासन की लापरवाही और असंवेदनशीलता का नतीजा है। 8 जुलाई 2025 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने जिला कलेक्टर को स्कूलों की जर्जर इमारतों और खतरनाक गेट्स के बारे में लिखित चेतावनी दी थी। पत्र में स्पष्ट निर्देश था कि तुरंत सर्वे कर मरम्मत का कार्य शुरू किया जाए। लेकिन, अफसोस की बात है कि कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।"

🏫 स्कूल प्रबंधन और प्रशासन पर उठे सवाल

स्थानीय ग्रामीणों और परिजनों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि स्कूल प्रशासन और जिला प्रशासन दोनों ही लापरवाही के दोषी हैं। हादसे के वक्त गेट के पास कई छात्र मौजूद थे और पिलर गिरते ही एक छात्र की मौके पर ही मौत हो गई।

🏛️ प्रशासन की चुप्पी पर विपक्ष हमलावर

इस मामले पर अभी तक प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। वहीं विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेर रहा है। तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेताओं ने भी घटना को प्रशासनिक विफलता बताया है।

जैसलमेर स्कूल हादसे के लिए सांसद ने कलेक्टर को ठहराया जिम्मेदार! कहा- 'पहले ही चेतावनी दी थी'
जैसलमेर स्कूल हादसे के लिए सांसद ने कलेक्टर को ठहराया जिम्मेदार, कहा- 'पहले ही चेतावनी दी थी

📌 निष्कर्ष:

जैसलमेर का यह हादसा सिर्फ एक निर्माण की खामी नहीं, बल्कि सिस्टम की असंवेदनशीलता और लापरवाही का बड़ा उदाहरण है। यदि पहले से चेतावनी दी गई थी और उस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सीधा सवाल उठाता है कि जिम्मेदार कौन है? अब देखना होगा कि क्या सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाती है या यह मामला भी कागज़ों में ही दफन हो जाएगा।


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